- नागपुर के होटल व्यवसायी परिवार सहित वंदे भारत से उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए निकले थे, लेकिन टिकट नहीं मिल सकी
- रेलवे स्टेशन पर टिकट न मिलने पर टीटीई से 10000 में चार सीटों की डील की गई, जबकि ट्रेन में कई सीटें खाली थीं
- मनोहर ने मुल्ताई स्टेशन पर उपलब्ध सीटें ऑनलाइन लेकर टिकट खरीदे, जिससे टीटीई ने अतिरिक्त पैसे मांगने शुरू किए
नागपुर के होटल व्यवसायी मनोहर खुशालानी का शनिवार दोपहर अचानक उज्जैन महाकाल के दर्शन करने जाने का प्रोग्राम बन गया. दोपहर सवा तीन बजे नागपुर से उज्जैन के लिए वन्दे भारत एक्सप्रेस थी. ऑनलाइन टिकट करने में समय खर्च करने के बजाय उन्होंने तय किया कि रेलवे स्टेशन पर ही टिकट ले लेंगे. मनोहर खुशालानी, उनकी पत्नी और दो बच्चे जब नागपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे, तब तक 3 बज चुके थे और टिकट बुकिंग क्लर्क ने बताया कि ट्रेन आने में पंद्रह मिनट ही शेष हैं लिहाजा अब उज्जैन वन्दे भारत एक्सप्रेस के लिए उस टिकट खिड़की पर टिकट नहीं मिलेगी. लेकिन साथ ही उसने यह भी बताया कि चिंता की बात नहीं, आप टीटीई से बात कर लेना, वह आपको टिकट भी देंगे और बिठा भी देंगे.
टीटीई से 10 हजार में तय हुई 4 सीटों की डील
मनोहर खुशालानी और उनके परिवार ने उसकी बात पर यकीन कर लिया और वंदे भारत एक्सप्रेस में चढ़ गए. उनका कहना है कि टीटीई से बात हुई, तो उसने कहा, 'कोई बात नहीं, आपको चार सीट दे दूंगा. 1500 रुपये की एक टिकट होती है, आप 2500 के हिसाब से दे देना. मुझे ट्रेन में आप चार लोगों के 10 हजार रुपये दे देना. मैं आपको ट्रेन में ही टिकट और बैठने के लिए चार कंफर्म सीट दे दूंगा.'
ट्रेन में कई सीटें ऑनलाइन उपलब्ध थीं
खुशालानी इसके लिए राजी हो गए. उनका कहना है कि टीटीई ने उन्हें दो सीटें दिखाई और बाकी दो बाद में देने की बात कही. रुपये भी तभी एक साथ दे देना, ऐसा कहा. खुशालानी ने बताया, 'लेकिन यह एक बेहद कड़वा और विचित्र अनुभव साबित हुआ. ट्रेन में खाली सीटें दिख रही थीं, उनकी बैठने की इच्छा भी हो रही थी. अभी उनके हाथ टिकट भी नहीं आए थे और दो सीटें भी चाहिए थीं. लंबे समय तक टीटीई नहीं आए, तो मनोहर खुशालानी ने मोबाइल फोन पर ट्रेन में उपलब्ध सीटों को चेक किया. मुल्ताई से उज्जैन चार टिकटें मिल रही थीं, जिसका मतलब था सम्मानजनक तथा बैठकर आरामदायक सफर. उन्होंने फौरन चारों सीटें ले लीं.'
क्यों भड़े उठे टीटीई?
मनोहर खुशालानी बताते हैं कि मुल्ताई से कुछ ही समय पहले टीटीई साहब प्रकट हुए और कहा- अब 2500 नहीं, बल्कि 3500 रुपये के हिसाब से चार सीटों के पैसे लगेंगे. इस पर खुशालानी ने आपत्ति जताई और कहा- आप काफी देर से आए नहीं, तो अब हम टिकट ले चुके हैं मुल्ताई से. उनका दावा है कि रेलवे अधिकारी (टीटीई) इस पर नाराज हो गए और उनसे कहा- अब तक आप बिना टिकट आए हो. 1500 रुपये का आधिकारिक टिकट नहीं लिया, लिहाजा अब आपको फाइन भरना होगा.'
टीटीई परिवार के सामने ही करने लगे गाली-गलौज
मनोहर खुशालानी का दावा है कि उनके विरोध जताने पर टीटीई ने और नाराज होते हुए उनके परिवार के सामने ही उनके साथ गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार किया. उनसे फाइन के पैसे देने को कहा गया और बीवी बच्चों के साथ बिना टिकट यात्री की तरह टॉयलेट के पास जाकर खड़े रहने को कहा गया. उन्होंने अपने रिश्तेदारों को और दोस्तों को फोन लगाकर इस बारे में बताया, तब भी ऊंची आवाज में टीटीई साहब उन्हें डांट लगाते रहे.
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वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेन में रेलवे अधिकारी द्वारा इस तरह की अवैध वसूली और दुर्व्यवहार से वो और उनका परिवार अब भी सहमे हुए हैं. मनोहर खुशालानी बताते हैं, 'कुल मिलाकर ट्रेन की अधिकतर सीटें खाली थीं, फिर भी टीटीई साहब को ज्यादा पैसे दिए बगैर सीटें नहीं मिल रही थीं. वो नागपुर से मुल्ताई, मुल्ताई से बैतूल ऐसी टिकटें इश्यू करते जा रहे थे. मानो वन्दे भारत एक्सप्रेस को उन लोगों ने किसी निजी कंपनी की बस बना दिया हो. मुझे छह हजार के सफर के लिए तिगुनी रकम देनी पड़ी.18 हजार 6 सौ 92 रुपये देने पड़ गए. रेलवे के उच्च अधिकारियों को देखना चाहिए कि वन्दे भारत एक्सप्रेस में क्या चल रहा है.'













