खुदकुशी से पहले IIT छात्र दर्शन ने पिता से 30 मिनट तक की थी बात: पुलिस

मुंबई पुलिस ने शुरुआती जांच का हवाला देते हुए कहा कि छात्र दर्शन सोलंकी ने रविवार को अपनी जान लेने से पहले करीब 30 मिनट तक अहमदाबाद में अपने पिता से बात की थी, लेकिन संस्थान में जातीय भेदभाव के बारे में कुछ नहीं कहा था.

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दर्शन सोलंकी ने छात्रावास की इमारत से छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली थी.
मुंबई:

आईआईटी-बंबई में कथित तौर पर आत्महत्या करने वाले छात्र के परिवार ने दावा किया है कि उसे अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से संबंधित होने के कारण प्रमुख संस्थान में भेदभाव का सामना करना पड़ा और इसकी प्रबल आशंका है कि उसकी ‘‘हत्या'' की गई. वहीं मुंबई पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसने मामले की जांच के सिलसिले में छात्रावास में लड़के के साथ रहने वाले विद्यार्थियों के बयान दर्ज करना शुरू कर दिया है.

मुंबई में पुलिस ने शुरुआती जांच का हवाला देते हुए कहा कि छात्र दर्शन सोलंकी (18) ने रविवार को अपनी जान लेने से पहले करीब 30 मिनट तक अहमदाबाद में अपने पिता से बात की थी, लेकिन संस्थान में जातीय भेदभाव के बारे में कुछ नहीं कहा था.

मुंबई में पवई स्थित संस्थान ने पक्षपात के आरोपों को खारिज किया है और आंतरिक जांच खत्म होने तक इंतजार करने का आग्रह किया है.

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दर्शन सोलंकी (18) की रविवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पवई परिसर में एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से कथित तौर पर छलांग लगाने से मौत हो गई थी. वह अहमदाबाद का रहने वाला था और बी.टेक (केमिकल) पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष का छात्र था.

दर्शन सोलंकी का परिवार अहमदाबाद शहर के मणिनगर इलाके में रहता है और परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि दर्शन को ‘‘दलित होने के कारण भेदभाव'' का सामना करना पड़ा, वह आत्महत्या नहीं कर सकता था.

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दर्शन की मां तरलिकाबेन सोलंकी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मेरे बेटे की हत्या की गई है. मृत्यु के कुछ घंटे पहले, उसने हमें फोन किया था लेकिन उसने सामान्य रूप से बात की और ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वह किसी तनाव में है. हालांकि, जब वह मकर संक्रांति के दौरान घर आया था, तो उसने अपनी चाची को बताया था कि अन्य छात्र उससे दूरी बना रहे हैं. वे इसलिए विक्षुब्ध थे क्योंकि दर्शन ने इतनी प्रगति की थी.''

दर्शन के पिता रमेशभाई ने आरोप लगाया कि संस्थान के साथ-साथ अस्पताल के अधिकारियों ने मामले को छिपाने की कोशिश की और उनके मुंबई पहुंचने से पहले ही पोस्टमार्टम कर दिया.

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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह आत्महत्या का मामला है. अगर आप सातवीं मंजिल से गिरेंगे तो आपको कई चोटें लगेंगी. लेकिन, पोस्टमॉर्टम के बाद जब मैंने अपने बेटे का चेहरा देखा तो मुझे कोई चोट के निशान नहीं दिखे. यह कैसे संभव है? और तो और, पोस्टमार्टम जल्दबाजी में किया गया और वह भी हमारी अनुमति के बिना। मुझे पोस्टमार्टम के बाद केवल उसका चेहरा देखने की अनुमति दी गई.''

दर्शन की बहन जाह्नवी ने कहा कि उनके भाई की मौत के कारणों को लेकर आईआईटी-बंबई प्रबंधन अपना रुख बदलता रहा. जाह्नवी ने कहा, ‘‘उसका शव मेरे माता-पिता को न तो पोस्टमार्टम से पहले और न ही बाद में दिखाया गया. इससे पहले संस्थान ने हमें बताया था कि वह सीढ़ियों से गिर गया था. फिर, प्रिंसिपल ने हमें बताया कि मेरा भाई इमारत से कूद गया है. क्या वे सोचते हैं कि हम मूर्ख हैं? ऐसा लगता है कि मेरे भाई की हत्या की गई है.''

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आईआईटी-बंबई ने मंगलवार को संस्थान में जातिगत पूर्वाग्रह के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि छात्र के दोस्तों से मिली शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि कोई भेदभाव नहीं था. उसने छात्रों से पुलिस और आंतरिक जांच पूरी होने तक इंतजार करने का आग्रह किया.

इससे पहले बुधवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने आईआईटी-बंबई का दौरा किया और दर्शन की मौत की गहन जांच की मांग की. अठावले ने कहा कि दर्शन ने रविवार को अपने पिता को फोन किया और उन्हें सूचित किया कि एक पेपर को छोड़कर, उसकी पहले सेमेस्टर की अन्य परीक्षाएं अच्छी रही.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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