भारत में कार्यरत अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने बुधवार को भारत की विकासात्मक प्रगति और दुनिया के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि अगर कोई "भविष्य देखना" चाहता है, तो उसे इस देश में आना चाहिए.
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि वे भारत को अपना घर कहते हैं. उन्होंने इस अनुभव को एक "महान विशेषाधिकार" बताया. उन्होंने कहा कि, "मैं अक्सर कहता हूं कि यदि आप भविष्य देखना चाहते हैं, तो भारत आएं, यदि आप भविष्य को महसूस करना चाहते हैं, तो भारत आएं और यदि आप भविष्य पर काम करना चाहते हैं, तो भारत आएं. मुझे अमेरिकी मिशन के लीडर के रूप में हर एक दिन ऐसा करने में सक्षम होने का बड़ा सौभाग्य मिला है."
एरिक गार्सेटी ने बचपन में भारत में बिताए दौर के बारे में भी बात की और कहा कि भारत के साथ उनके "गहरे भावनात्मक संबंध" हैं, इसे उनकी आत्मा ने कभी नहीं छोड़ा.
गार्सेटी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का संदेश दोहराया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें बताया कि भारत "दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण देश" रहा है और इस सदी में नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के संबंध दुनिया की व्यवस्था को आकार देने के लिए "सबसे महत्वपूर्ण" हैं.
राजदूत गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच "एक योगात्मक संबंध नहीं बल्कि एक बहुगुणात्मक संबंध" हैं.
अमेरिकी राजदूत की टिप्पणी तब आई है जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी इस बात पर रोशनी डाली है कि टेक्नालॉजी के क्षेत्र में सहयोग के साथ भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है.
सुलिवन ने व्हाइट हाउस में कहा, "ब्रिक्स के एक देश, अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी टेक्नालॉजी, सुरक्षा और कई अन्य आयामों में जुड़ाव के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है."