4 जनवरी की बैठक में नहीं निकला निर्णय तो तेज़ करेंगे आंदोलन : योगेंद्र यादव

किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है.

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योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद प्रेस को संबोधित किया.
नई दिल्ली:

Farmers Protest : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में पिछले 37 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान संगठनों ने शुक्रवार को अहम बैठक की. इस बैठक के बाद किसान नेता डॉ धर्मपाल ने बताया कि आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई है और इस बैठक में केंद्र सरकार के साथ हुई मीटिंग का रिव्यू भी किया गया है. उन्होंने बताया कि आज की बैठक में हमने कुछ अहम निर्णय किए हैं.वहीं स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने बताया कि 4 जनवरी को केंद्र सरकार के होने वाली बैठक में यदि कुछ निर्णय नहीं निकला तो हम ये आंदोलन और तेज करेंगे.

योगेंद्र यादव ने कहा,  "30 तारीख की वार्ता में सिर्फ़ पूंछ निकली है, हाथी निकलना बाकी है. जिसमें दो बड़े मुद्दों पर तीनों कानूनो को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी दर्जे पर सरकार टस से मस नहीं हुई है. हम ये आंदोलन और तेज़ करेंगे."

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उन्होंने आगे कहा,  "4 तारीख़ की वार्ता में कुछ नहीं निकला तो 6 तारीख़ को जीटी करनाल रोड पर ट्राली यात्रा निकालेंगे. अगर सरकार नहीं मानी तो अगले हफ़्ते कोई तारीख़ निर्धारित करके शाहजहांपुर बार्डर पर दिल्ली की तरफ़ बढ़ेंगे. हम देश भर में किसान कानूनों को लेकर जन जागृति अभियान चलाया जाएगा.

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किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है. इससे एक दिन पहले केंद्र और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बातचीत हुई जिसमें दो विवादास्पद मुद्दों पर गतिरोध बना रहा.बुधवार को सरकार और किसान संघों के बीच छठे दौर की वार्ता लगभग पांच घंटे चली जिसमें बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी.

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बता दें कि किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है. इससे एक दिन पहले केंद्र और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बातचीत हुयी जिसमें दो विवादास्पद मुद्दों पर गतिरोध बना रहा.बुधवार को सरकार और किसान संघों के बीच छठे दौर की वार्ता लगभग पांच घंटे चली जिसमें बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी.

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(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)

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