यदि न्याय मांगना राजनीति है तो हम यह एक नहीं, हजार बार करेंगे : किसान नेता शिव कुमार 'कक्का'

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के नेता शिव कुमार 'कक्का' ने एनडीटीवी से कहा- जंतर मंतर पर महापंचायत में उम्मीद से ज्यादा लोग पहुंचे

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किसान नेता शिव कुमार कक्का ने जंतर मंतर पर किसानों के धरने को सफल बताया.

नई दिल्ली:

किसान संगठनों ने फसलों के लिए MSP की गारंटी का कानून बनाने, लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों को न्याय और आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर सोमवार को किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) आयोजित की. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के नेता शिव कुमार 'कक्का' (Shiv Kumar 'Kakka') ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ''आज महापंचायत में उम्मीद से ज्यादा लोग पहुंचे थे. कई स्थानों पर हमारे लोगों को रोक लिया गया था.'' 

उन्होंने कहा कि ''परमीशन को लेकर तीन दिन से वार्ता चल रही थी. हमें आज साढ़े दस बजे परमीशन मिल पाई. इससे माइक लगाने और मंच बनाने में समस्या हुई.'' 

शिव कुमार 'कक्का' ने  कहा कि, ''आंदोलन के 378 दिन बाद जो पांच लोगों की कमेटी बनी थी. हमने पांच बिंदुओं पर सरकार से सहमति व्यक्त की थी. इनमें हम पर जो एक लाख 48 हजार मुकदमे वापस बने हैं उनको वापस लिया जाएगा, एमएसपी गारंटी कानून बनाने लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, शहीदों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाएगी, किसानों को विश्वास में लेकर बिजली बिल संसद में पेश किया जाएगा, ये तमाम मांगें हमारी थीं. इन पर अब तक सरकार की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई. लखीमपुर खीरी वाले मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है.'' 

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उन्होंने कहा कि, ''हमारी दो मांगें और थीं जो बरसों से चल रही थीं, 'खुशहाली के दो आयाम, ऋण मुक्ति, पूरा दाम.' देश का किसान बहुत कर्जदार हुआ है और उसको एक बार ऋण मुक्त किया जाना आवश्यक है. इसके अलावा सी 2 प्लस 50 के हिसाब से किसानों को एमएसपी तय कर क्रय करने की गारंटी का कानून बनाया जाए.'' 

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शिव कुमार 'कक्का' ने कहा, ''तमाम मांगों को लेकर हमने आज ज्ञापन दिया. हमें चार बजे तक का समय दिया गया था, हमने समय सीमा में अपना धरना समाप्त किया.'' 

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किसान नेता ने कहा कि, ''पूरे आंदोलन में सरकार से हमारी केवल दो मांगें थीं, काला कानून रद्द करें, जो सरकार ने रद्द किया और प्रदानमंत्री जी ने उसी दिन घोषणा की थी कि एमएसपी पर कमेटी बनाएंगे. पहली लड़ाई हम आधी जीत चुके थे, लेकिन एमएसपी पर गारंटी की दूसरी लड़ाई हम अपनों से हार गए. सरकार से नहीं, हम अपने लोगों से हार गए.'' 

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शिव कुमार 'कक्का' ने कहा कि, ''जब कमेटी बनी तो उससे पहले हमने सरकार को एक ई-मेल किया. हमने पूछा कि कमेटी का अधिकार क्षेत्र क्या होगा. कमेटी क्या उन पांच बिंदुओं पर चर्चा करेगी जिन पर सहमति बनी है? क्या कमेटी की शर्तें, निर्णय लागू किए जाएंगे? अगर लागू किए जाएंगे तो कितना समय लगेगा? कमेटी में हमारे अलावा और कौन लोग होंगे? इसका सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया. हम जानना चाहते थे कि कमेटी करेगी क्या, कौन लोग रहेंगे? जवाब आया नहीं, सरकार का बयान आया कि हमने कभी एमएसपी की गारंटी के कानून का वादा नहीं किया. हमे फिर लगा कि इस कमेटी में जाने से कोई फायदा नहीं है. कमेटी में वे लोग हैं जो आंदोलन में सरकार के साथ खड़े थे.''           

गृह राज्य मंत्री पर कार्रवाई की मांग को लेकर सरकार का कहना है कि यह राजनैतिक मांग है जबकि किसान आंदोलन अराजनैतिक बताया जाता है? इस सवाल पर किसान नेता ने कहा कि, ''हमारे किसानों पर आप गाड़ी चढ़ा दें, आपका बेटा जेल में हो, पांच किसानों को आप मार डालें और हम न्याय मांगें तो किसान राजनैतिक हो गया?  आंदोलन कर रहे निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ाई गई, यह एसआईटी की जांच में प्रमाणित हो चुका है. मंत्री जी को भी दोषी माना है. वे अपराधी हैं और अभी भी सरकार में बैठे हुए हैं. यदि न्याय मांगने को राजनीति कहते हैं तो ऐसी राजनीति हम एक बार नहीं हजार बार करेंगे.''

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