NDA की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार बनाई गई हैं. उनकी सीधी टक्कर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से है. जानकार मान रहे हैं कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है. उधर, द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि देश के दस करोड़ आदिवासी उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने से बेहद खुश हैं. वहीं, यशवंत सिन्हा ने सभी सांसदों और विधायकों से अपील की है कि वो इस बार संविधान और उनकी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर ही वोट करें. इन सब के बीच राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले NDTV ने द्रौपदी मुर्मू के गांव का दौरा किया और उनके परिजनों से बात की. द्रौपदी मुर्मू का पैतृक गांव उपरबेड़ा, ओड़िसा और झारखंड की सीमा पर है. हालांकि उनके भाई पास के शहर में घर बनाकर रह रहे हैं लेकिन उनके परिवार से अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो गांव में उनके घर में रहते हैं.
अगर वो देश की राष्ट्रपति बनती हैं तो वो आदिवासी समाज से इस पद तक पहुंचने वाली पहली महिला होंगी. वहीं वो दूसरी महिला होंगी जो देश की राष्ट्रपति बनीं. वो अपने गांव से कॉलेज जाने वाली पहली महिला थीं. इसके बाद वो राजनीति में आईं. वो बीजेपी की तरफ से दो बार विधायक रहीं. इसके बाद उन्हें राज्यपाल भी बनाया गया. NDTV ने उनके घर का दौरा किया. इस दौरान राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के परिजनों ने NDTV से अपनी भावनाएं साझा कीं..
NDTV ने द्रौपदी मुर्मू के चचेरे भाई से बात की. उन्होंने बताया कि दीदी (द्रौपदी मुर्मू) राष्ट्रपति बनने जा रही हैं तो हम सभी को अच्छा लग रहा है. वो पिछली बार जनवरी में गांव आई थीं. वहीं द्रौपदी मुर्मू की पोती ने कहा कि अगर उनकी दादी राष्ट्रपति बन जाती हैं तो वो भी चाहेंगी कि बड़ी होकर वो भी उनके जैसी ही बनें. मैं भी राजनीति में जाना चाहती हूं. वहीं द्रौपदी मुर्मू के चचेरे भाई की बहू दुलारी ने बताया कि हमारे संथाल समाज के लिए गर्व की बात है. गांव में सभी लोग खुश हैं. हमें उम्मीद है कि वो चुनाव जीतकर राष्ट्रपति जरूर बनेंगी.