राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन पर राय जानने के लिये रविवार शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले पहुंचे निर्दलीय विधायक ने कहा कि अगर विधायकों की भावना के अनुसार फैसला नहीं होगा, तो सरकार गिरने का खतरा तो पैदा हो ही जायेगा. मुख्यमंत्री गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की घोषणा के मद्देनजर संयम लोढ़ा ने यह बात कैबिनेट मंत्री शांतिधारीवाल के निवास पर आयोजित एक अन्य बैठक में कही.
मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा से संवाददाताओं ने जब पूछा कि गहलोत के अलावा दूसरा कोई मुख्यमंत्री बनेगा, तो क्या वो सरकार के साथ रहेंगे. इस पर लोढ़ा ने कहा कि जो विधायकों की भावना है, उसके अनुरूप निर्णय होगा तो सरकार चलेगी. उन्होंने कहा, "अगर विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार गिरने का खतरा तो पैदा हो ही जायेगा ना."
उन्होंने कहा कि विधायक दल की बैठक होने पर पता चलेगा कि किसका नाम आता है, लेकिन वह पहले ही कह चुके हैं कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रहना चाहिए. निर्दलीय विधायकों का क्या रुख रहेगा? इस सवाल पर लोढ़ा ने कहा कि वह पहले की तरह गहलोत के साथ हैं.
एक अन्य नेता गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहते हैं, तो आगामी विधानसभा चुनाव जीतने में बहुत दिक्कत आएगी, गहलोत हमारी आत्मा हैं. गहलोत ने जो बजट दिया है और जो काम किये हैं, उसका लाभ उनके मुख्यमंत्री रहते हुए ही हमें मिलेगा.. अगर हम उनको अलग कर देंगें तो हममें कमजोरी आ जायेगी.''
इससे पहले विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में भाग लेने के लिये मल्लिकार्जुन खड़गे और एआईसीसी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन जयपुर पहुंचे. जयपुर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में खड़गे ने कहा कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बारे में अभी वह कुछ नहीं बता सकते. लेकिन उन्होंने कहा कि शाम को विधायक दल की बैठक में विधायकों की राय जानने के बाद वह बात करेंगे.
माकन ने कहा, ‘‘आज शाम विधायक दल की बैठक है और मुझे और मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है. विधायकों से रायशुमारी की जाएगी.''