"मैं केवल अम्बेडकर के विचारों का व्याख्या कर रही थी"..., 'देवताओं की जाति' टिप्पणी पर जेएनयू VC 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (Shantisree Dhulipudi Pandit)  ने ‘‘कोई देवता ऊंची जाति का नहीं है’’ टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद बुधवार को सफाई में कहा कि वह केवल बी आर आंबेडकर के विचार की व्याख्या कर रही थीं.

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नई दिल्ली:

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (Shantisree Dhulipudi Pandit)  ने ‘‘कोई देवता ऊंची जाति का नहीं है'' टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद बुधवार को सफाई में कहा कि वह केवल बी आर आंबेडकर के विचार की व्याख्या कर रही थी. उन्होंने अकादमिक व्याख्यान के राजनीतिकरण पर भी सवाल उठाया.पंडित ने कहा, ‘‘मुझे लैंगिक न्याय पर बी आर आंबेडकर के विचारों पर बोलने के लिए कहा गया था. मैं बी आर आंबेडकर के विचारों की व्याख्या कर रही थी. आप उनके लेखन को देख सकते हैं. लोगों को मुझसे नाराज क्यों होना चाहिए? उन्हें बी आर आंबेडकर से नाराज होना चाहिए. मुझे इसमें क्यों घसीटा जा रहा है.''

डॉ बी आर आंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) व्याख्यान श्रृंखला में ‘लैंगिक न्याय पर डॉ बी आर आंबेडकर के विचार : डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड' विषय पर पंडित ने सोमवार को कहा था कि ‘‘मानव-विज्ञान की दृष्टि से'' देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक ​​कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं. बुधवार को पंडित ने कहा कि उन्होंने शिक्षाविद के तौर पर यह टिप्पणी की थी और आंबेडकर के दृष्टिकोण का उल्लेख किया था. कुलपति ने कहा, ‘‘मैं सबसे पहले शिक्षाविद, प्रोफेसर हूं. किसी अकादमिक व्याख्यान का राजनीतिकरण क्यों किया जा रहा है? मुझे दिल्ली में कोई व्याख्यान देने में डर लगता है. सब कुछ गलत उद्धृत किया गया है. मैं मूल विचारक नहीं हूं, मैं एक प्रोफेसर हूं. मुझे बहुत दुख हो रहा है, लोग इसका राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं?''

व्याख्यान में उन्होंने यह भी कहा था कि ‘‘मनुस्मृति में महिलाओं को दिया गया शूद्रों का दर्जा'' इसे असाधारण रूप से प्रतिगामी बनाता है. पंडित ने कहा था, ‘‘मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है और आपको जाति केवल पिता से या विवाह के जरिये पति की मिलती है. मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है.''

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नौ साल के एक दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘‘कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है.'' पंडित ने कहा था, ‘‘आप में से अधिकतर को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए. कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है. भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होंगे क्योंकि वह सांप के साथ श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं. मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं.''

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पंडित ने कहा था कि लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक ​​कि जगन्नाथ सहित देवता ‘‘मानव विज्ञान की दृष्टि से'' उच्च जाति से नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में, जगन्नाथ का मूल आदिवासी है. उन्होंने कहा था, ‘‘तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं. हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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