संसद में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के मंगलवार को दिए बयान पर बुधवार को भी खूब हंगामा हुआ. इसके बाद भी महुआ मोइत्रा किसी भी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहीं. महुआ ने बुधवार को कहा कि वह संसद में कल बोले गए बयान पर कायम हैं. मैंने सिर्फ सच कहा है और मैं इसके साथ खड़ी हूं. संसद के बाहर संवाददाताओं से महुआ ने भाजपा सांसद रमेश विधुड़ी के उनके लगातार विरोध करने और माफी मांगने की मांग पर कहा, "यही वह सज्जन व्यक्ति हैं, जिन्होंने किसानों को 'दलाल' कहा था. यह ऑन रिकॉर्ड है, मैंने वीडियो ट्वीट किया है. शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में डॉ. शांतनु सेन को बिल्कुल अपमानजनक शब्द कहा था. यह पहली बार नहीं है कि संसद में अपशब्दों या कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, और जो मुझे हंसाता है, वह यह है कि भाजपा कह रही है 'ये महिला होकर कैसे ये शब्द उपयोग की.' क्या मुझे इसे बोलने के लिए एक आदमी होने की आवश्यकता है."
महुआ मोइत्रा पर हेमामालिनी
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के कल सदन में असंसदीय शब्दों के प्रयोग भाजपा सांसद हेमामालिनी ने कहा कि ऐसे शब्दों से बचना चाहिए. उनका बोलने का तरीका ही ऐसा है. वहीं महुआ मोइत्रा ने कहा कि कल बहुत शुभ दिन था. सारे देश ने सुना. बीजेपी से हमें पार्लियामेंट्री एटीकेट सीखने की ज़रूरत नहीं है. मैं Apple को Apple ही बोलूंगी, संतरा नहीं बोलूंगी. मुझे कोई अफ़सोस नहीं है. मैं अपनी बात पर क़ायम हूं.
सदन के अंदर मर्यादा जरूरी: रमेश बिधूड़ी
बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने महुआ मोइत्रा को लेकर कहा कि माफी तो उनके नेता ने मांगी है, उनका व्यवहार इस प्रकार का संसद में है. निजी जीवन में चरित्र कुछ भी हो सकता है, किसी प्रकार का व्यवहार करें, उस पर रोक-टोक नहीं है. लेकिन जब जनता जनप्रतिनिधि के तौर पर चुनकर भेजती है, तो सदन के अंदर मर्यादा के तहत काम करना चाहिए. दुनिया और सवा सौ करोड़ देश के लोग देखते हैं. सुदीप बंदोपाध्याय को क्यों उनकी वजह से माफी मांगनी पड़ी, वह उनसे भी जा कर पूछ लें.
भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने कहा-टीएमसी से उम्मीद नहीं
भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि टीएमसी के नेताओं और महुआ मोइत्रा से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं की जा सकती है. निश्चित रूप से महुआ ने जिन शब्दों का कल प्रयोग किया है, वह न उस सदन के गरिमा के अनुरूप है और न ही महिला होने के नाते उनके अनुरूप है. लगता है टीएमसी और महुआ का संस्कार ही यही है. हमको महुआ को एटीकेट सिखाने की जरूरत नहीं है. जिसका संस्कार ऐसा हो, वह अच्छी चीज सीख ही नहीं सकता.