''तबीयत खराब है कैसे जाएं घर..'' : ऑटो-टैक्सी ड्राइवरों की हड़ताल से परेशान हुए दिल्ली NCR के लोग

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालकों ने ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर सेवाओं के खिलाफ शुरू की दो दिन की हड़ताल

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नई दिल्ली:

ऐप आधारित कैब सेवाओं (App-based cab services) के खिलाफ आज से दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में ऑटो और टैक्सी ड्राइवरों ने दो दिन की हड़ताल (Auto-taxi drivers strike) शुरू कर दी. टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालक ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर सेवाओं के खिलाफ यह आंदोलन कर रहे हैं. इस हड़ताल के बीच दिल्ली-एनसीआर में यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. टैक्सी-ऑटो यूनियनों ने कहा है कि कम भुगतान के साथ-साथ कैब एग्रीगेटर्स की ओर से बाइक टैक्सी सर्विस शुरू किए जाने से उनकी आजीविका प्रभावित हुई है.

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ऑटो टैक्सी यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. हालांकि कई टैक्सी ऑटो यूनियनों को इसके बारे में पहले से जानकारी नहीं होने से वे फिलहाल हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं. 

टैक्सी चालकों की हड़ताल के चलते आज सुबह से दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लोग परेशान होते देखे गए. सड़कों के किनारे खड़े लोग अपने गंतव्य तक जाने के लिए ऑटो-टैक्सी तलाश रहे थे और टैक्सी चालक उन्हें सेवाएं देने से इनकार कर रहे थे. 

एक यात्री ने एनडीटीवी से कहा, मैं काफी देर से खड़ा हूं, टैक्सी मिल ही नहीं रही. ऑनलाइन टैक्सी बुक करने की कोशिश कर रहा हूं. मौजूद टैक्सी चालक मनमाने रेट बता रहे हैं. हम घर नहीं जा पा रहे. तबीयत खराब है, नहीं तो मेट्रो से चले जाते.   

एक अन्य यात्री ने कहा कि, मुझे पता नहीं था कि स्ट्राइक है. ऐप पर 10 मिनिट से कोशिश कर रहा था, लेकिन कोई ले जाने के लिए तैयार नहीं है. कोई एक्सेप्ट नहीं कर रहा. मुझे एयरपोर्ट जाना है थोड़ी देर में लेकिन शायद मेट्रो से जाना पड़ेगा.    

लोगों ने सोशल मीडिया पर कैब मिलने में देरी होने और ऐप पर कैब की बुकिंग रद्द होने के बारे में शिकायतें कीं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक यूजर प्रशुष ने पोस्ट किया, ‘‘पिछले 35 मिनट नोएडा में दिल्ली के लिए कैब लेने की कोशिश में गुजार दिए. ओला कैब, उबर इंडिया, रैपिडो बाइक ऐप में क्या समस्या है.''

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ऐप आधारित कैब सर्विस आजीविका छीन रही 

ऑटो टैक्सी यूनियनों का कहना है कि ऐप आधारित कैब सर्विस से उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इन सेवाओं ने उनकी आय कम कर दी है. यूनियनों ने दावा किया है कि ना तो केंद्र, ना ही राज्य सरकारों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई कार्रवाई की है. 

यूनियनों के नेताओं ने कहा है कि, उबर, ओला, रेपिडो वगैरह टैक्सी, ऑटो और बाइक अटैच करके चलवा रही हैं. वे सीधे-सीधे आम टैक्सी, ऑटो चालकों का धंधा खत्म कर रही हैं. हम सरकार को टैक्स देते हैं. लाखों रुपए खर्च करके खरीदे गए ऑटो-टैक्सी की ईएमआई कहां से भरेंगे? 

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दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन (DATTCU) के अध्यक्ष किशन वर्मा ने दावा किया कि दिल्ली में 80 फीसदी ऑटोरिक्शा और टैक्सियां ​​सड़कों से नदारद हैं. उन्होंने बताया कि जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

'वाहनों की ईएमआई नहीं जमा कर पा रहे'

प्रदर्शनकारी टैक्सी चालक शकील अहमद ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "हम काम नहीं कर पा रहे हैं. हम वाहनों की ईएमआई नहीं भर पा रहे हैं. निजी टैक्सियां ​​और मोटरसाइकिलें चल रही हैं, हम टैक्स दे रहे हैं. हम 22-23 अगस्त को हड़ताल कर रहे हैं. अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनती, निजी वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती और किराये में सुधार नहीं करती तो यह हड़ताल और बढ़ सकती है."

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टैक्सी चालक सुनील कुमार ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि, गुरुवार और शुक्रवार के लिए हड़ताल की अपील की गई है. ओला-उबर में जो गाड़ी चलती है, उसके चलते हमारी गाड़ी नहीं चल पा रही है. हमें यूनियन की तरफ से आदेश आया है. उनका कहना है कि पहले सीएनजी 40 रुपये प्रति लीटर थी, लेकिन आज 70 से ऊपर है. किराया हमारा बढ़ाया नहीं है और 9 रुपये प्रति किलोमीटर का रेट हमें ओला-उबर से मिल रहा है, जबकि 15 रुपये प्रति किलोमीटर का रेट होना चाहिए.

ओला-उबर चालकों को नहीं दे रहीं पर्याप्त कमीशन

उन्होंने कहा, “ओला-उबर कंपनी अपना कमीशन तो पूरा ले रही है, लेकिन चालकों को ज्यादा कमीशन नहीं मिल रहा है. हमें घाटा हो रहा है और इस कारण गाड़ी की मेंटेनेंस का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. हम लोग 10 से 15 घंटे तक काम करते हैं. तब जाकर 800 या 900 रुपए दिन में बच पाते हैं. हमारी मांग है कि किराया बढ़ाया जाए.”

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कैब ड्राइवर अनिल प्रधान ने गैर-वाणिज्यिक नंबर प्लेट का उपयोग करके सेवाएं देने वाली मोटरसाइकिल टैक्सियों पर बंदिश लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और नॉन-कामर्शियल नंबर प्लेट वाले वाहनों के व्यावसायिक संचालन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. इससे जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है.''

एक अन्य कैब चालक आदर्श तिवारी ने कहा, ‘‘कंपनियां हमें हमारी सेवाओं के लिए बहुत कम राशि दे रही हैं. इसके कारण हम अपने वाहनों की किस्त भरने और अन्य खर्चों को पूरा करने में असमर्थ हैं. हम अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और अपने परिवारों के लिए पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं.''

बाइक टैक्सियां बंद की जाएं

ऑटो चालक संजय शर्मा ने कहा, “हमें ओला, उबर और रैपिडो से बहुत दिक्कतें आ रही हैं. ऐप खोलने पर ऑटो का किराया कैब से ज्यादा दिखाई देता है. इस कारण सवारियां ऑटो को बुक नहीं करतीं, बल्कि वे बाइक सर्विस का इस्तेमाल करती हैं. इसलिए बाइक सर्विस को भी बंद किया जाए.”

डीएटीटीसीयू के अध्यक्ष वर्मा ने कहा, ‘‘हम कैब एग्रीगेटर कंपनियों द्वारा निजी वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे. जब निजी वाहनों को चलने की अनुमति है तो हमें परमिट लेने और करों का भुगतान करने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है? हम मांग करते हैं कि सरकार उन पर प्रतिबंध लगाए.''

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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