- हैदराबाद में एक अवैध सरोगेसी और एग डोनेशन रैकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें आठ लोग गिरफ्तार हुए.
- मुख्य आरोपी लक्ष्मी रेड्डी और उनका बेटा, गरीब महिलाओं को सरोगेट मां और एग डोनर के रूप में काम कराते थे.
- अमीर दंपतियों से 10 से 20 लाख रुपये वसूले जाते थे, जबकि गरीब महिलाओं को अधिकतम दो लाख रुपये ही दिए जाते थे.
Surrogacy Racket Hyderabad: कभी मां खुद 'एग डोनर' और 'सरोगेट मदर' रह चुकी थी. अनुभव था ही और इसके लिए मिलने वाले मोटे पैसे का लालच भी था. बस, इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बेटे के साथ मिलकर इसे धंधा ही बना लिया. ग्राहक बनाया, उन दंपतियों को, जो बे-औलाद थे और एक बच्चा पाने की ख्वाहिश में 10 से 20 लाख तक खर्च करने को तैयार थे. वहीं मां-बेटे ने सरोगेसी के लिए टारगेट किया गरीब महिलाओं को. ये जानते हुए भी कि ऐसा करना गैर-कानूनी है, गरीब परिवारों की महिलाएं मजबूरीवश इस धंधे में शामिल हो गईं. हालांकि उन्हें कभी 2 लाख रुपये से ज्यादा नहीं दिए गए. आखिरकार हैदराबाद में चल रहे इस रैकेट का शुक्रवार को भंडाफोड़ हो गया.
हैदराबाद के पेट-बशीराबाद इलाके में पुलिस ने अवैध सरोगेसी और अंडाणु (एग) डोनेशन रैकेट में महिला और उसके बेटे समेत कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें छह महिलाएं शामिल थीं, जिन्हें सरोगेट मदर और एग डोनर के तौर पर भर्ती किया गया था. पुलिस ने 6 फर्टिलिटी क्लिनिक्स की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है.
कैसे चलता था ये रैकेट?
इस रैकेट की मुख्य आरोपी नारेड्डुला लक्ष्मी रेड्डी पहले खुद एग डोनर और सरोगेट मदर रह चुकी हैं. उसने बीटेक पास बेटे के साथ मिलकर एग डोनेशन और सरोगेसी को धंधा बना लिया. उसने फर्टिलिटी क्लिनिक्स के जरिए गरीब और कमजोर महिलाओं को भर्ती करवाया.
इस रैकेट में लालच और शोषण दोनों शामिल हैं. आरोपी मां-बेटे मुख्यतः कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कमजोर तबकों की महिलाओं को सरोगेट बनने या एग डोनेट करने के लिए पैसों का लालच दिया करते थे. अब गरीब को भला कब पैसों की जरूरत नहीं रहती... तो ये महिलाएं आसानी से इनके चंगुल में फंस जाती थीं.
दूसरी ओर आरोपी, संतान प्राप्ति की इच्छा वाले अमीर दंपतियों और फर्टिलिटी क्लीनिक्स से 10 लाख से 20 लाख रुपये तक वसूलते थे. हालांकि गरीब महिलाओं को ये लोग ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 2 लाख रुपये ही देते थे. बाकी रकम आरोपी और दलाल रख ले रहे थे.
पुलिस ने छापेमारी में 6.47 लाख रुपये कैश, मेडिकल सप्लाई, ठेके के कागज, लैपटॉप, स्टांप पेपर्स, दवाएं, हार्मोन इंजेक्शन और निजी क्लीनिक के केसशीट्स भी बरामद कीं. हैदराबाद के बंजारा हिल्स, कोंडापुर आदि इलाकों में मौजूद 6 फर्टिलिटी सेंटर जांच के घेरे में हैं, जहां यह अवैध कारोबार चलता था.
देश में केवल नि:स्वार्थ सरोगेसी वैध
सरोगेसी के लिए भारत, कभी दुनिया भर में पसंदीदा जगह था. कम खर्च और ढीले नियमों के चलते यहां हजारों विदेशी दंपति सरोगेसी का विकल्प चुनते थे. लेकिन सरोगेसी (नियमन) एक्ट 2021 आने के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. अब देश में सिर्फ अल्ट्रूइस्टिक यानी निस्वार्थ सरोगेसी की इजाजत है.
सरोगेसी यानी किराये की कोख. वो व्यवस्था, जिसमें कोई महिला किसी दंपति या व्यक्ति के लिए अपने गर्भ से बच्चे को जन्म देती है. पहले इस पर कोई खास रोक-टोक नहीं थी, लेकिन अब कानून ने इसे सीमित कर दिया है. एक्ट के मुताबिक, सरोगेट मां को आर्थिक लाभ नहीं ले सकती. उसे सिर्फ मेडिकल खर्च और बीमा कवर मिलता है.
दो तरह की होती है सरोगेसी
- पारंपरिक सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी में किराये पर ली गई कोख में पिता का स्पर्म महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इसमें बच्चे का जेनिटक संबंध केवल पिता से होता है.
- जेस्टेशनल सरोगेसी: इसमें पिता का स्पर्म और मां के एग्स को मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए सेरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है. इससे जो बच्चा पैदा होता है, उसका जेनेटिक संबंध दोनों से होता है.
सरोगेसी के नियम और शर्तें
सरोगेसी सिर्फ उन्हीं भारतीय विवाहित दंपतियों के लिए संभव है, जिनकी शादी को कम से कम 5 साल हो चुके हों और वे प्राकृतिक तरीके या अन्य तकनीकों से संतान पैदा करने में असमर्थ हों.
- सरोगेट का चयन- सरोगेट महिला नजदीकी रिश्तेदार होनी चाहिए. उसकी उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए और उसके पास खुद का एक बच्चा पहले से होना चाहिए. वो सिर्फ एक बार ही सरोगेट बन सकती है.
- मेडिकल और कानूनी जांच- संतान चाहने वाले दंपति और सरोगेट दोनों की पूरी जांच होती है. साथ ही दोनों के बीच कानूनी अनुबंध बनाना अनिवार्य होता है.
- आईवीएफ और जन्म- भ्रूण को आईवीएफ तकनीक से सरोगेट की कोख में स्थापित किया जाता है. जन्म के बाद बच्चे का प्रमाण पत्र इच्छित माता-पिता के नाम से जारी किया जाता है.
ये बातें ध्यान में रखना जरूरी
- व्यावसायिक सरोगेसी अवैध- अब कोई भी सरोगेट मां पैसा लेकर यह काम नहीं कर सकती.
- सिर्फ विवाहित दंपति पात्र- समलैंगिक या अविवाहित लोग इस विकल्प से बाहर हैं.
- डोनर गैमीट्स का उपयोग- गंभीर चिकित्सीय कारण होने पर अब डोनर अंडाणु/शुक्राणु का इस्तेमाल संभव है.
- बच्चे के अधिकार- सरोगेसी से जन्मा बच्चा जैविक बच्चे के बराबर कानूनी अधिकार रखेगा.
देश में सरोगेसी अब सुरक्षित और नियंत्रित फ्रेमवर्क के भीतर वैध है.