प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ को दिए पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू (PM Modi Podcast iNTERVIEW) में कई अन्य मुद्दों के साथ ही ह्वेंगसांग का भी जिक्र किया. ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल जरूर होगा कि ह्वेंगसांग कौन था, जिनका जिक्र पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू में किया और उसकी भारत यात्रा और गुजरात में पीएम मोदी के गांव वडनगर में रुकने की कहानी क्या है?
पीएम मोदी ने इंटरव्यू में बताया कि साल 2014 में उनके पहली बार पीएम बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने न सिर्फ भारत यात्रा बल्कि गुजरात और उनके गांव वडनगर आने की इच्छा जाहिर की थी. वजह था चीनी फिलॉस्फर ह्वेनसांग. शी जिनपिंग ने पीएम मोदी को बताया था कि चीनी फिलॉस्फर ह्वेनसांग आपके (पीएम मोदी) के गांव वडनगर में सबसे ज्यादा समय तक रहे थे. जब वह चीन वापस लौटे तो वह शी जिनपिंग के गांव में रहने के लिए गए थे. जिनपिंग ने बताया कि उनका पीएम मोदी के साथ यही खास कनेक्शन है.
ह्वेनसांग की भारत और वडनगर यात्रा की कहानी
ह्वेनसांग ने सन 629 में 27 साल की उम्र में चीन के शहर चांगआन से भारत के का अपना सफर शुरू किया था. चीन में उस समय गृह युद्ध छिड़ा हुआ था. वहां डाकुओं और लुटेरों का बोलबाला था.चीन के नागरिकों के देश से बाहर जाने की परमिशन नहीं थी. लेकिन ह्वेनसांग नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने का इरादा रखता था. चांगआन से नालंदा करीब साढ़े चार हजार किलोमीटर के करीब दूर था.
जब वडनगर पहुंचा था ह्वेनसांग
ह्वेनसांग पैदल चलकर भारत के कई राज्यों से होते हुए नालंदा पहुंचा. इसी बीच वो पीएम मोदी के गांव वडनगर भी गया.वह वहां कुछ समय तक रुका. जब वह चीन वापस पहुंचा तो उसने वडनगर का उच्चारण ओ-नान-टू-पु-लो किया, जिसका अनुवाद आनंदपुर है. ये नाम वडनगर के प्राचीन शहर का है. ह्वेनसांग ने लिखा था, "वडनगर में करीब दस संघाराम हैं, जिनमें 1,000 से कम भिक्षु हैं. वे बौद्ध धर्म के हीनयान संप्रदाय को मानते हैं. ये लोग सम्मतीय संप्रदाय के मुताबिक अध्ययन करते हैं. वडनगर में कई बड़े देव मंदिर हैं, विभिन्न प्रकार के संप्रदाय के लोग वहां आते हैं."
कौन था ह्वेनसांग?
- ह्वेनसांग एक चीनी यात्री था
- ह्वेनसांग को चीन में बहुत ही मान दिया जाता है
- ह्वेनसांग का जन्म करीब 602 ई. में चीन के लुओयंग में हुआ था
- उनकी मौत 5 फरवरी 664 को हुई थी
- ह्वेनसांग एक दार्शनिक, घुमक्कड़ और अनुवादक था
- ह्वेनसांग को 'प्रिंस ऑफ ट्रैवलर्स' कहा जाता है
- ह्वेनसांग की भारत यात्रा 16 साल लंबी रही
- उसने अपनी भारत यात्रा के दौरान न सिर्फ यहां पढ़ाई की, बल्कि कई राज्यों में भी घूमा
- सन 629 में 27 साल के ह्वेनसांग ने चीन के शहर चांगआन से भारत आने का सफर शुरू किया था
पीएम मोदी और जिनपिंग का ह्वेनसांग वाला कनेक्शन
पीएम मोदी ने ह्वेनसांग का जिक्र करने के दौरान बताया कि जब वह देश के प्रधानमंत्री बने तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बधाई देने के लिए कॉल किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह भारत आना चाहते हैं और वह गुजरात जाना चाहते हैं. वह वडनगर जाना चाहते हैं. मैंने पूछा कि आपने यहां तक का कार्यक्रम बना लिया? . इस पर जिनपिंग ने कहा कि मेरा-आपका स्पेशल नाता है. शी जिनपिंग ने बताया कि चीन के फिलॉस्फर ह्वेनसांग सबसे ज्यादा समय आपके गांव वडनगर में रहे. जब वह वापस चीन लौट तो मेरे गांव (जिनपिंग) के गांव में रहे. यही हम दोनों का कनेक्ट है.