हुर्रियत कांफ्रेंस ने हैदरपोरा में मारे गए दो नागरिकों के परिवारों के समर्थन में 19 नवंबर को बंद का आह्वान किया है. इसने पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और मारे गए लोगों के शव लौटाने की गुरुवार को मांग की. मृतकों के बारे में परस्पर विरोधी दावों के बाद हैदरपोरा में सोमवार को हुई मुठभेड़ को लेकर विवाद पैदा हो गया है, क्योंकि मृतकों के परिजनों ने पुलिस के इस आरोप का विरोध किया है कि वे ‘आतंकवादियों से जुड़े' थे. हुर्रियत कांफ्रेंस ने एक बयान में कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ ने कश्मीर के लोगों को स्तब्ध कर दिया है. बयान में कहा गया है, ‘‘अधिकांश नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता इस तरह की अमानवीयता (हैदरपोरा मुठभेड़) का विरोध करने और मारे गए नागरिकों के परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने के कारण जेलों या घरों में नजरबंद हैं और हमारी मांग है कि शवों को दफनाने के लिए उन्हें उनके प्रियजनों को लौटाया जाए. लोगों को खुद ही शुक्रवार को बंद रखना चाहिए.''
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पुलिस के अनुसार, रामबन के फैमरोटे गांव का मोहम्मद आमिर एक आतंकवादी था और हैदरपोरा में सोमवार शाम को हुई मुठभेड़ में अपने पाकिस्तानी साथी के साथ मारा गया, जहां कथित तौर पर एक अवैध कॉल सेंटर और आतंकी ठिकाना चलाया जा रहा था. दो नागरिक - अल्ताफ भट और मुदस्सिर गुल - भी गोलीबारी में मारे गए. उनके परिजन ने गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त की और दावा किया कि मृतक निर्दोष थे और आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े नहीं थे.
दोनों मृतक नागरिकों के परिजन ने बुधवार को श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में धरना दिया और दिन भर के विरोध के बाद में मोमबत्ती जलाकर विरोध जताया. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस ने उन्हें आधी रात के आसपास जबरन वहां से हटा दिया और उनमें से कुछ को हिरासत में भी ले लिया. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बृहस्पतिवार को हैदरपोरा मुठभेड़ की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए.
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हैदरपोरा मुठभेड़ में एडीएम रैंक के एक अधिकारी द्वारा मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया गया है. जैसे ही रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से जमा की जाएगी, सरकार उचित कार्रवाई करेगी. जम्मू कश्मीर प्रशासन निर्दोष नागरिकों के जीवन की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को दोहराता है और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई अन्याय न हो.''
हैदरपोरा मुठभड़ की जांच के दिए गए आदेश