- कामकाजी माता-पिता को सोच समझकर सही डे केयर का चुनाव अपने बच्चों के लिए करना चाहिए.
- डे केयर का चयन करते समय ये जरूरी चेक करें कि वहां पर CCTV कैमरे हैं की नहीं.
- डे केयर में काम करने वाले लोगों का बैकग्राउंड और उनको कितना अनुभव है इसकी जांच भी जरूर करें.
गुरुग्राम में एक निजी कंपनी में काम करने वाली 38 साल की दीपिशा एक कामकाजी महिला हैं. जो अपने बच्चे को डे केयर में छोड़कर काम पर जाती हैं. दीपिशा के घर में कोई ऐसा सदस्य नहीं है जो उनके पीछे से उनके बच्चे की देखभाल कर सकें. इसलिए दीपिशा ने डे केयर का विकल्प अपने बच्चे के लिए चुना. दीपिशा ने जिस डे केयर का चुनाव अपने बच्चे के लिए किया है, वो तीसरी क्लास में पढ़ने वाले दीपिशा के बच्चे को स्कूल से पिक करता है और फिर डे केयर में लाकर उसका पूरा ध्यान रखता है. डे केयर में ही बच्चे को खाने की सुविधा भी दी जाती है. शाम को ऑफिस से वापस आते समय दीपिशा अपने बच्चों को डे केयर से घर ले जाती हैं.
दीपिशा के अनुसार उनके पास डे केयर के CCTV का एक्सेस है. इसलिए वो समय-समय पर फोन में चेक करती रहती हैं कि उनका बच्चा डे केयर में क्या कर रहा है, उसे खाने में क्या दिया जा रहा है. दीपिशा का डे केयर का अनुभाव काफी अच्छा रहा है, इसलिए दूसरा बच्चा होने के बाद भी दीपिशा ने उसे एक साल का होने पर डे केयर में छोड़ने का फैसला किया है. जिस समझदारी से दीपिशा ने सही डे केयर का चुनाव किया है. आप भी उसी तरह से अपने बच्चे के लिए डे केयर चुने.
कामकाजी माता-पिता के लिए अपने बच्चे की सही से देखभाल करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. मां बनने के बाद महिलाओं के लिए करियर और घर में बैलेंस करना सबसे कठिन काम बन जाता है. कई महिलाएं अपने करियर को छोड़कर घर पर अपने बच्चों की परवरिश का रास्ता चुनती हैं. तो कुछ महिलाएं दीपिशा की तरह अपने काम के साथ-साथ बच्चों की देखभाल करती हैं.
कामकाजी महिलाओं के पास अपने बच्चे को डे केयर में छोड़ने का ही विकल्प रह जाता है. हाल ही के समय में डे केयर से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आए हैं. जिन्हें देखकर हर मां अपने बच्चे को डे केयर में छोड़ने से पहले 100 बार सोचने पर मजबूर हो जाएंगी. आपके बच्चे को डे केयर में सुरक्षित माहौल मिले, इसकी जिम्मेदारी आपके ही ऊपर है. जब भी आप डे केयर का चुनाव करें तो दीपिशा की तरह समझदारी दिखाएं.
आखिर क्या होता है डे केयर
जो माता-पिता कामकाजी होते हैं, वो दिन में काम के समय अपने बच्चों को डे केयर में छोड़ देते हैं. डे केयर में बच्चों का ध्यान रखा जाता है और कई तरह की एक्टिविटी उनसे करवाई जाती है. कुछ डे केयर तो बच्चों को खाने की सुविधा भी देते हैं. डे केयर को क्रेच भी कहा जाता है. हर डे केयर अपने हिसाब से सुविधा प्रदान करता है. सुविधा के हिसाब से ही वो फीस लेते हैं.
डे केयर चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान
- डे केयर को खोलने से पहले कई तरह के लाइसेंस प्राप्त करने होते हैं. इसलिए जब भी आप अपने बच्चे के लिए डे केयर चुने तो ये जरूर जांच ले की डे केयर के पास जरूरी लाइसेंस हैं कि नहीं.
- अपने बच्चे के लिए केवल उसकी डे केयर का चुनाव करें जहां पर CCTV कैमरे लगे हो और साथ ही उनका एक्सेस आपके पास हो. कई सारे डे केयर फोन पर सीधा CCTV का एक्सेस देते हैं. ऐसे में आप ऑफिस में बैठकर अपने बच्चे पर नजर रख सकते हैं.
- आप इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कई डे केयर में CCTV कैमरे तो होते हैं. लेकिन वो इसका एक्सेस बच्चों के माता-पिता के साथ शेयर नहीं करते हैं. इसलिए ऐसे डे केयर का चुनाव आप अपने बच्चे के लिए न करें.
- बच्चों की सेहत के लिए हाइजीन सबसे ज्यादा जरूरी होती है. इसलिए आप जो डे केयर चुने उसमें बच्चों की सुरक्षा, साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन, साफ बाथरूम है कि नहीं ये जरूर जांच लें.
- जिस डे केयर में आप अपने बच्चे को डालने वाले हैं, वहां के स्टाफ से एक बार जरूर बात कर लें और जांच ले कि वो बच्चों को संभालने में काबिल हैं कि नहीं. उन्हें डे केयर में काम करने का कितना अनुभव है.
- डे केयर में सुरक्षा के जाले, वेंटिलेशन और ऊंची दरवाज़े सहित आग से बचने के उपकरण हैं कि नहीं इसकी जांच करना भी जरूरी है.
अगर आप ऊपर बताई गई बातों का अच्छे से ध्यान रखकर डे केयर का चुनाव करते हैं, तो यकीन माने की आप भी दीपिशा की तरह बेफिक्र होकर अपनी नौकरी के साथ बच्चे की सही से परवरिश कर सकेंगे.