- अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट को विदेशी आतंकी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है.
- अमेरिका की विदेशी आतंकी संगठन सूची में शामिल होने के बाद TRF की अमेरिकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं.
- अमेरिका के कदम को भारत की कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है और पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर भूमिका उजागर हो रही है.
अमेरिका ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) को विदेशी आतंकी संगठन (Foreign Terrorist Organization) घोषित कर दिया है. साथ ही अमेरिका ने विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (Specially Designated Global Terrorist) की सूची में भी इस संगठन को डाला है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने TRF को वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल किया है. इस कदम को भारत के लिए महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले सहित TRF जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है. आइए जानते हैं कि TRF को अमेरिका के आतंकी संगठन घोषित करने के क्या हैं मायने और यह निर्णय भारत के लिए क्यों खास है.
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट' की स्थापना 2019 में हुई थी और इसे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF को लश्कर-ए-तैयबा ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते एक नए नाम और चेहरे के रूप में खड़ा किया जिससे पाकिस्तान की भूमिका को छिपाया जा सके. यह संगठन बेहद सक्रिय है और खुद को कश्मीर के स्थानीय संगठन के रूप में पेश करता है. हालांकि वास्तव में इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं.
कैसे तैयार होती है FTO सूची?
विदेशी आतंकी संगठन की सूची को अमेरिका का विदेश विभाग तैयार करता है. इस सूची में उन संगठनों को शामिल किया जाता है जो तीन तरह के मानदंडों को पूरा करते हैं:
- विदेशी संगठन हो.
- आतंकी गतिविधियां से जुड़ा हो. जैसे आम नागरिकों पर हमला, बम धमाके या डर फैलाने के उद्देश्य से हिंसा.
- अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति या आर्थिक हितों के लिए खतरा हो.
इन प्रतिबंधों का करना पड़ सकता है सामना
अमेरिका के इस कदम के बाद TRF की सभी अमेरिकी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है. अमेरिका में संगठन की आर्थिक सहायता या लेनदेन को गैरकानूनी माना जाएगा और संगठन से जुड़े व्यक्तियों को भी वीजा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
- अमेरिका में संगठन की सभी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं.
- अमेरिकी नागरिक या संस्था द्वारा संगठन को किसी भी तरह की सहायता देना अपराध माना जाता है.
- संगठन के सदस्यों को अमेरिका में प्रवेश नहीं मिल सकता.
- अमेरिका अन्य देशों पर भी दबाव बनाता है कि वे इस संगठन पर प्रतिबंध लगाएं.
FTO सूची में ये आतंकी संगठन भी
TRF को सूची में शामिल किए जाने के बाद अब अमेरिका की FTO सूची में 70 से अधिक संगठन हो गए हैं. इनमें कई बड़े आतंकी संगठन पहले से ही शामिल हैं. अमेरिका हर साल आतंकी संगठन सूची की समीक्षा करता है और किसी संगठन को शामिल या हटाने का फैसला सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की सिफारिशों के आधार पर करता है. इस सूची में यह संगठन भी शामिल हैं-
- अल-कायदा
- लश्कर-ए-तैयबा
- जैश-ए-मोहम्मद
- आईएसआईएस
- हिजबुल मुजाहिदीन
- और अब द रेजिस्टेंस फ्रंट
अमेरिका ने पिछले कुछ सालों में कई संगठनों को इस सूची से बाहर भी किया है.
अमेरिका की SDGT सूची को समझिए
अमेरिका ने विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी की सूची में भी TRF को शामिल किया है. यह वह सूची है जिसे अमेरिका का वित्त विभाग और विदेश विभाग मिलकर तैयार करते हैं. यह सूची व्यक्तिगत आतंकियों, आतंकी संगठनों और उनसे जुड़े सहयोगियों को निशाना बनाती है. इन आधारों पर किसी संगठन को इस सूची में शामिल किया जाता है-
- आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता.
- आतंकी संगठनों को फंडिंग, लॉजिस्टिक या किसी प्रकार की सहायता देना.
- वैश्विक आतंकवाद के नेटवर्क से संबंध रखना.
यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस सूची में शामिल किया जाता है तो उसके खिलाफ अमेरिका प्रशासन कई तरह की कार्रवाई कर सकता है. इस सूची में शामिल होने पर यह कदम उठाए जा सकते हैं-
- अमेरिका में उस व्यक्ति या संस्था की संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं.
- अमेरिकी नागरिक या कंपनियां उससे लेन-देन नहीं कर सकतीं.
- संबंधित व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जाता है.
- कई बार संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन भी SDGT नामों को अपनी सूची में शामिल कर लेते हैं.
कई आतंकियों को इस सूची में शामिल किया गया है. इनमें से पाकिस्तान में रहकर अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले भी कई आतंकी शामिल हैं.
- हाफिज सईद (लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख)
- मसूद अजहर (जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख)
- सैयद सलाहुद्दीन (हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख)
TRF के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई क्यों अहम है?
अमेरिका ने अपने बयान में कहा है कि TRF ने भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया. साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि TRF की गतिविधियां वैश्विक आतंकवाद की श्रृंखला का हिस्सा है.
अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाना आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीतिक नीति की बड़ी सफलता है. यह कदम न सिर्फ TRF की गतिविधियों को वैश्विक मंच पर बेनकाब करता है, बल्कि पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर करता है. भारत अब और अधिक मजबूती से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने का मुद्दा उठा सकता है.
भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर TRF और इससे जुड़ी गतिविधियों को उजागर करता रहा है और इसे आतंकी संगठन घोषित करने की मांग करता रहा है. भारत ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत TRF को आतंकी संगठन घोषित किया है. इसे 2019 में मुहम्मद अब्बास शेख ने शुरू किया था, जिसका नेतृत्व अब आतंकी सज्जाद गुल कर रहा है.
भारत के लिए इन सूचियों के क्या है मायने?
पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत लंबे समय से उजागर करता रहा है. अमेरिका की ओर से जब किसी भी पाकिस्तानी संगठन या व्यक्ति को FTO या SDGT सूची में शामिल किया जाता है तो यह भारत के सुरक्षा और कूटनीतिक प्रयासों को वैश्विक समर्थन है. इससे पाकिस्तान पर दबाव बनता है और आतंकियों की अंतरराष्ट्रीय पहुंच सीमित होती है.
FTO और SDGT जैसी सूचियां वैश्विक आतंकवाद से लड़ने की दिशा में बेहतर और प्रभावी उपकरण साबित होती हैं. इन सूचियों के जरिए न सिर्फ आतंकी संगठन और व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब होते हैं, बल्कि यह ऐसे आतंकी संगठनों की आर्थिक हालत और उसके नेटवर्क को कमजोर करने का भी काम करती हैं. भारत जैसे देशों के लिए यह सूचियां बेहद महत्वपूर्ण है.