गलतफहमी के कारण 'आप' और कांग्रेस के बीच बनी उलझन ममता बनर्जी ने कैसे सुलझाई?

23 जून को पटना में विपक्ष की बैठक में कांग्रेस ने कहा कि वह कभी भी भाजपा की किसी बात का समर्थन नहीं करेगी, लेकिन कांग्रेस की संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने की है.

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ममता बनर्जी और नीतीश कुमार (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

दिल्ली के अफसरों को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी का समर्थन करने के लिए आज कांग्रेस की हरी झंडी ने विपक्षी एकता के प्रयासों को उड़ान भरने से पहले क्रैश-लैंडिंग से बचा लिया. सूत्रों ने कहा कि पार्टी का इरादा अध्यादेश का हमेशा से विरोध करने का था, लेकिन एक मिस कम्युनिकेशन ने विपक्षी एकता की कोशिशों को लगभग संकट में डाल दिया. आखिरकार नीतीश कुमार और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की मध्यस्थता से यह मामला सुलझ गया.

पटना में 23 जून को विपक्ष की बैठक में कांग्रेस ने कहा था कि वह कभी भी भाजपा की किसी बात का समर्थन नहीं करेगी. कांग्रेस की संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने की है. लेकिन अजय माकन समेत दिल्ली के नेताओं के तीखे विरोध के बाद पार्टी ने चुप्पी साध ली.

इस बीच, अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने संसद में अध्यादेश के विरोध में लड़ाई में शामिल होने के लिए कांग्रेस से "हामी" भरवा ली. पटना में होने वाली अगली विपक्षी बैठक में उपस्थिति के लिए 'आप' की यह पूर्व शर्त है.

आखिरी क्षण में अड़चन आम आदमी पार्टी शासित पंजाब में भगवंत मान सरकार द्वारा अपने वरिष्ठ नेता की गिरफ्तारी थी. पंजाब के पूर्व मंत्री ओपी सोनी की गिरफ्तारी मान द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बीच हुई.

जब मानसून सत्र शुरू होने में कुछ दिन शेष हैं तब 'आप' ने संकेत दिया कि वह कांग्रेस के स्पष्ट बयान के बिना अपना रुख नहीं बदलेगी.

सूत्रों ने बताया कि जब मल्लिकार्जुन खरगे ने 'आप' प्रमुख को 17 जुलाई को बेंगलुरु में कांग्रेस की मेजबानी में होने वाली विपक्ष की बैठक के लिए आमंत्रित करने के लिए फोन किया तो केजरीवाल कुछ भी कहने को तैयार नहीं थे.

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संकट का समय तब आया जब शनिवार को एक बैठक के बाद कांग्रेस यह स्पष्ट करने में विफल रही कि वह संसद में अध्यादेश के विरोध का समर्थन करने को तैयार है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश की ओर से एक अस्पष्ट संदेश आया, जिससे विपक्ष सकते में आ गया.

सूत्रों ने कहा कि नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेतृत्व को समझाया कि यदि वे अपना रुख स्पष्ट नहीं करते, तो विपक्ष की दीवार दिल्ली-पंजाब के आकार का छेद बनने के साथ गिर जाएगी.

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सूत्रों ने कहा कि जैसे ही 'आप' ने कड़े कदम उठाने के लिए अपने प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई, ममता बनर्जी ने घबराकर खरगे को फोन किया. बंगाल की नेता ने पार्टी से एक स्पष्टीकरण जारी करने को कहा, जो जल्द ही केसी वेणुगोपाल की ओर से आ गया.

आज शाम को अपनी कार्यकारी समिति की बैठक के बाद AAP ने घोषणा की कि वह 17-18 जुलाई को बेंगलुरु बैठक में शामिल होगी. राघव चड्ढा ने बैठक के बाद घोषणा की कि, "आज कांग्रेस पार्टी ने भी दिल्ली के अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख साफ कर दिया है और अपना विरोध दर्ज कराने की घोषणा की है. हम कांग्रेस पार्टी की इस घोषणा का स्वागत करते हैं. इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि आम आदमी पार्टी बैठक में भाग लेगी."

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कांग्रेस के रुख के बारे में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया : "बिल्कुल वही जो कांग्रेस अध्यक्ष ने 'आप' नेतृत्व को बताया था और प्रतिबद्धता व्यक्त की थी, जब हम पटना में मिले थे. कांग्रेस अध्यादेश के संबंध में अपने रुख के बारे में स्पष्ट थी."

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