मुंबई में दिल के मरीज़ों की संख्या 50% बढ़ी, रुटीन चेकअप रोकने वाले मरीज़ अब बुरे स्टेज में

मुंबई के अस्पतालों में हृदयरोगी 50% बढ़े हैं. बीते डेढ़ सालों में रुटीन चेकअप रोकने वाले मरीज़ अब बुरे स्टेज में पहुंच रहे हैं तो 30-40 साल के युवा हार्ट मरीज़ों की संख्या अचानक बढ़ रही है.

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मुंबई में अचानक बढ़ गए हैं युवा हार्ट मरीज़
मुंबई:

मुंबई के अस्पतालों में (Mumbai Hospitals) हृदयरोगी (Heart Patients) 50% बढ़े हैं. बीते डेढ़ सालों में रुटीन चेकअप रोकने वाले मरीज़ अब बुरे स्टेज में पहुंच रहे हैं तो 30-40 साल के युवा हार्ट मरीज़ों की संख्या अचानक बढ़ रही है. वर्ल्ड हार्ट डे पर मुंबई ट्रैफ़िक पुलिस को स्ट्रेस बॉल्स बांटे गए ताकि उनका ब्लड सर्क्यूलेशन बेहतर हो और दिल की सेहत बनी रहे. दरअसल मुंबई के कई अस्पतालों में बीते क़रीब दो महीनों में हार्ट के मरीज़ों की संख्या 50% बढ़ी है.

मुंबई के लायंस क्लब अस्पताल के डॉक्टर सुहास देसाई कहते हैं, ''बीते क़रीब 2-3 महीने में हार्ट पेशेंट क़रीब 50% बढ़े हैं, कम उम्र वाले मरीज़ 30-40 में बढ़े हैं. कई फ़ैक्टर्स हैं, सबसे बड़ा ये है कि लोगों की लाइफ़्स्टाइल बिगड़ी है. वर्क फ्रोम होम की वजह से ऐक्टिविटी नहीं कर रहे हैं. चलना फिरना कम है. दूसरी अहम बात ये है कईयों ने अपना रुटीन चेकअप नहीं कराया है, कोविड की वजह से. इसलिए ब्लॉकेज बढ़ गया है हार्ट में.''

नानावटी अस्पताल में इंटर्वेन्शन कार्डीआलॉजिस्ट डॉ राहुल रहेजा कहते हैं, ''डेढ़ साल से दिल के मरीज़ों की संख्या में कमी थी क्यो‍कि लोग डर से अस्पताल नहीं आ रहे थे. अब बीते कुछ महीनों में क़रीब 50% मरीज़ बढ़े हैं.'' 

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मुंबई निवासी, 42 साल के टैक्स कन्सल्टेंट धीरेन सेवक को पहले हार्ट की दिक़्क़त नहीं थी, अटैक के लक्षण आए तो इन्हें गैस की दिक़्क़त लगी पर जांच में पता चला कि इनकी धमनियां 90% से ज़्यादा ब्लॉक्ड हैं.

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धीरेन कहते हैं, ''20 तारीख़ को अटैक आया लेकिन दिक़्क़त हुई चेस्ट में तो लगा गैस है. पर जांच करवाया तो Wockhardt में भर्ती हुआ, एक आर्टरी 100% दूसरी 93% ब्लॉक्ड थी, स्टेंट्स लगाया. 42 साल की इस उम्र में मेरे साथ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लॉकडाउन में मेरी लाइफ़स्टाइल बिगड़ गयी थी, फ़िज़िकल ऐक्टिविटी कम थी. अब मैं पूरा ख़याल रखता हूं.''

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समय पर जांच नहीं कराने और कोविड के ख़ौफ़ के कारण 48 साल की हाज़रा को भी हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. हाज़रा कहती हैं, ''बहुत घबराती थी, भूख नहीं लगती थी, किसी का बुरा सुन कर बहुत डर लगता था. ये सब देखते देखते मेरी सेहत ख़राब हो गयी.''

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Wockhardt Hospital में कन्सल्टंट कार्डीओलॉजिस्ट डॉ रवि गुप्ता कहते हैं, ''कोरोना की वजह से भी हार्ट की आर्टरीज़ में ब्लड क्लॉट होने से हार्ट अटैक बढ़ रहा है. जो मेजर रिस्क फ़ैक्टर है, फ़ैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग, स्ट्रेसफुल लाइफ़, इन लोगों को ख़ासकर रुटीन चेक 30 की उम्र के बाद करना चाहिए. इनमें ECG, 2D Echo, और ट्रेडमिल टेस्ट कराएं. अगर ठीक है रिपोर्ट तो तो मोटे तौर पर आप ठीक हैं नहीं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.''

कोविड के मामले कम होने पर भी लेट स्टेज में अस्पताल पहुंच रहे हार्ट मरीज़ एक्सर्पट्स को चिंतित कर रहे हैं.

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