विपक्षी दलों के खिलाफ दर्ज मामलों की निगरानी के लिए गृह मंत्रालय के पास है सिस्टम: गहलोत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चाहे वह आयकर विभाग हो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), न्यायपालिका या निर्वाचन आयोग, वे सभी एक ही स्थिति का सामना कर रहे हैं.

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अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना.
जयपुर:

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को दावा किया केंद्रीय गृह मंत्रालय विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देता है और फिर इन मामलों की निगरानी करता है. गहलोत ने ‘भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान श्रीनगर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी पर दिल्ली पुलिस के इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आवास पर जाने का मुद्दा उठाते हुए ये दावा किया. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने विपक्षी दलों के खिलाफ मामलों की निगरानी के लिए एक व्यवस्था बनायी है.

सूरत की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद गांधी को पिछले सप्ताह लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यहां मीडिया को संबोधित करने के लिए आए थे. 19 मार्च को, दिल्ली पुलिस की एक टीम ने गांधी से उनकी ‘‘महिलाओं का अभी भी यौन उत्पीड़न किया जा रहा है'' टिप्पणी को लेकर उनके आवास पर पूछताछ के लिए पहुंची थी और उनसे ‘‘पीड़ितों'' के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए कहा ताकि उनकी (पीड़ितों की) शिकायतें ली जा सकें.

गहलोत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्होंने राहुल गांधी के दरवाजे पर पुलिस भेजी... यह जम्मू कश्मीर, राजस्थान या मध्य प्रदेश की पुलिस नहीं थी, बल्कि दिल्ली पुलिस ने गांधी के खिलाफ इसके लिए एक मामला दर्ज किया जो उन्होंने अपने भाषण के दौरान जनहित में जो कहा था और उनकी टिप्पणी को लेकर उनसे पूछताछ करने के लिए उनके घर गई.'' उन्होंने कहा कि गांधी ने जवाब देने के लिए कुछ दिन का समय मांगा, लेकिन वे इंतजार करने को तैयार नहीं थे.

उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय देशभर में विपक्षी दलों के खिलाफ चल रहे मामलों की निगरानी कर रहा है। न केवल मामले दर्ज करने के आदेश हैं, बल्कि उन पर नजर भी रखी जा रही है. निगरानी करने के लिए एक व्यवस्था है. जब उसकी निगरानी कर ली जाती है तो पुलिस आयुक्त, डीजीपी (पुलिस महानिदेशक), कलेक्टर, जो कोई भी हो, उन्हें (कार्रवाई करने के लिए) कदम आगे बढ़ाने होंगे.''

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चाहे वह आयकर विभाग हो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), न्यायपालिका या निर्वाचन आयोग, वे सभी एक ही स्थिति का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई राजनीतिक भाषा नहीं है, लेकिन मैं यह अपने अनुभव से कह रहा हूं.''

गहलोत ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कानून के शासन को नष्ट करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘क्या देश में कानून का कोई राज बचा है? जब तक हर एक नागरिक इस बारे में चिंतित नहीं होगा, अकेले राजनीतिक दल कुछ नहीं कर सकते. यदि लोग समर्थन करते हैं, तो एक क्रांति होगी और सरकार समझ जाएगी.''

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गहलोत ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘‘अहंकारी'' बताते हुए सवाल किया कि क्या कांग्रेस नेता द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों के बारे में मोदी को चिंतित नहीं होना चाहिए? उन्होंने भाजपा पर गांधी के ‘‘मोदी उपनाम'' टिप्पणी पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कार्ड खेलने का आरोप लगाया और साथ ही यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी खुद समुदाय का अपमान कर रहे हैं.

राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि संसद में विवादित अडाणी मुद्दे पर चर्चा से बचकर प्रधानमंत्री मोदी को लगता है कि वह पूरे मुद्दे से छुटकारा पा सकते हैं, जो कि गलत है. भाजपा के इस आरोप पर कि गांधी ने विदेश में अपने भाषणों में देश का अपमान किया, गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने केवल वही कहा जो वह (मुद्दा) देश में उठाते रहे हैं और कुछ भी नया नहीं है.

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गहलोत ने कहा, ‘‘उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी यही बात कहीं, मुख्य मुद्दा यह है कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है, वह खतरे में है. लेकिन लोगों को गुमराह करने के लिए, भाजपा ओबीसी और देश के सम्मान का मुद्दा लाती है.'

गहलोत ने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि वह अडाणी मुद्दे पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करके चीजों को स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे. उन्होंने कहा, ‘‘जेपीसी गठित करने से मोदी जी या अडाणी को कोई नुकसान नहीं होगा. यह उन्हें तभी नुकसान पहुंचाएगा जब उन्होंने कुछ गलत किया है. अगर आपको लगता है कि आप सही हैं, तो जेपीसी का गठन करें. देश को जिस तरह से मूर्ख बनाया जा रहा है, उसे इसकी चिंता है.''

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उन्होंने कहा कि जेपीसी का गठन नहीं करने से देश को सच्चाई का पता नहीं चल रहा. उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि देश को पता नहीं होगा कि कौन सही है और कौन गलत, तो लोग समय आने पर तय नहीं कर पाएंगे. हम चिल्लाते रहते हैं और जवाब नहीं मिलता। क्या यह लोकतंत्र है?''

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