हिंदूवादी संगठन डालते हैं जुमे की नमाज में खलल : गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी

गुड़गांव में नमाज पढ़ने को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा है. गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी और सिविल सोसायटी ने मिलकर आरोप लगाया कि हर बार 15-20 हिन्दूवादी संगठन के लोग जुमा की नमाज में खलल डालते हैं.

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गुड़गांव में नमाज पढ़ने को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा है.
नई दिल्ली:

गुड़गांव में नमाज पढ़ने को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा है. गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी और सिविल सोसायटी ने मिलकर आरोप लगाया कि हर बार 15-20 हिन्दूवादी संगठन के लोग जुमा की नमाज में खलल डालते हैं. इनके खिलाफ शिकायत भी दी गई लेकिन उसके बावजूद पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है. ऐसे में शांति व्यवस्था का बड़ा खतरा है गुड़गांव में जुमे की नमाज को रोकने का मामला गुरुवार को दिल्ली पहुंचा. सईदा हमीद, अपूर्वानंद, एसके प्रजापति, दया सिंह, अदीब और अल्ताफ जैसे सिविल सोसायटी और गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी के लोगों ने प्रेस कांन्फ्रेंस की. इसमें उलेमा जावेद भी थी जिनके साथ हिन्दूवादी संगठनों ने दुर्व्वहार किया था. गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी के मुताबिक पहले गुड़गांव में सौ खुली जगहों पर जुमे की नमाज होती थी जिसे हिन्दू वादी संगठनों के दबाव में 18 जगहों पर कर दी गई है.

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गुड़गांव मुस्लिम सोसायटी के सदस्य अल्ताफ ने बताया कि कुछ चंद लोग नमाज में खलल डालते हैं उनके खिलाफ हमने शिकायत की. हमने संयुक्त हिन्दू राष्ट्र ग्रुप नाम का संगठन है इसके खिलाफ शिकायत दी थी. हमारी नमाज  100 जगहों पर होती थी लेकिन इन्होंने 18 कर दी.

हालांकि गुड़गांव में जब प्रशासन की दी गई जमीन पर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से हिंदू वादी संगठनों ने रोका तो दया सिंह ने गुरुद्वारे में नमाज के लिए जगह दी और अक्षय यादव ने अपने गैराज की जमीन दी. इन कट्टरपंथी हिन्दुवादी संगठनों के खिलाफ एस एल प्रजापति और दया सिंह जैसे लोग भी खड़े हैं. उनका कहना है कि नमाज में खलल डालने वाले लोग हिन्दुओं के भी दुश्मन हैं.

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गुड़गांव में रहने वाले प्रजापति ने कहा कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए ये सब हिंदूत्व के नाम पर हिन्दू धर्म को भी बदनाम कर रहे हैं. पहले अम्मू ने पंचायत करके माहौल बिगाड़ा उसी के लोग है जो ये काम कर रहे हैं.

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दरअसल गुड़गांव में काम करने वाले बहुत से कामगार मुस्लिम हैं और यहां हजारों मुसलमानों के नमाज पढ़ने के लिए केवल दो मस्जिद हैं. ऐसी समस्या के चलते प्रशासन ने 2018 में 100 जगहें चिन्हित की थी जहां खुले में नमाज पढ़ने दी जाए, लेकिन हर जुमे में कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया. पहले 100 फिर 37 जगहें दी गई. अब 18 जगहें बताई गई हैं, लेकिन ये जगह कहां होगी इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है.

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