जो बाइडेन के दोबारा चुनाव में अहम हो सकते हैं हिन्दू-अमेरिकन : डेमोक्रेटिक भारतीय-अमेरिकी फंडरेज़र

व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा हॉलिडे पार्टी में आमंत्रित किए जा चुके रमेश कपूर ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि उन्होंने DNC और पार्टी नेताओं को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है कि क्यों हिन्दू 2024 में होने जा रहे चुनाव से पहले बाइडेन के चुनाव अभियान के लिए 'बेहद अहम' हो गए हैं.

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन दूसरा कार्यकाल पाने की कोशिश करने जा रहे हैं...
वॉशिंगटन:

अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के अहम भारतीय-अमेरिकी फंडरेज़र के मुताबिक, अगले साल राष्ट्रपति जो बाइडेन के दोबारा चुनाव में हिन्दू-अमेरिकी अहम किरदार अदा कर सकते हैं, और पार्टी को उन्हें अपने पक्ष में एकजुट करना चाहिए, क्योंकि इज़रायल-हमास के बीच जारी जंग के चलते जो बाइडेन प्रशासन को मुस्लिम-अमेरिकियों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) के शीतकालीन रिट्रीट में शिरकत करने वॉशिंगटन पहुंचे मैसाचुसेट्स में बसे राजनीतिक फंडरेज़र रमेश कपूर का कहना था कि हिन्दू-अमेरिकी और भारतीय-अमेरिकी पारंपरिक रूप से डेमोक्रेट समर्थक रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में उनके वोट बैंक में रिपब्लिकन हिस्सेदारी में भी बढ़त देखी गई है.

व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा हॉलिडे पार्टी में आमंत्रित किए जा चुके रमेश कपूर ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि उन्होंने DNC और पार्टी नेताओं को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है कि क्यों हिन्दू 2024 में होने जा रहे चुनाव से पहले बाइडेन के चुनाव अभियान के लिए 'बेहद अहम' हो गए हैं.

अक्टूबर में जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने वाले विधेयक को वीटो करने के लिए कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम को तैयार करने में मदद का दावा करने वाले रमेश कपूर ने कहा कि उनकी रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित है, जिसमें पार्टी और चुनाव अभियान के शीर्ष नेतृत्व से कुछ सिफ़ारिशें भी की गई हैं.

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रमेश कपूर ने कहा, "मैं हिन्दुओं को बाइडेन प्रशासन का समर्थन करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करता रहा हूं... बेशक, पिछली बार 72 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकियों ने बाइडेन के लिए मतदान किया था, लेकिन हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हिन्दू-अमेरिकी एकजुट हों..."

समाचार एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में रमेश कपूर ने बताया, "हमारी लड़ाई कुछ मुश्किल है, क्योंकि आम धारणा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी हिन्दू विरोधी है... मैंने व्हाइट हाउस से बात की है... मैंने इस धारणा को बदलने के लिए कोशिशों के बारे में चुनाव अभियान चलाने वालों से भी बात की है... मैं यही करने की कोशिश कर रहा हूं... मैं यही सुनिश्चित करने के लिए चुनाव अभियान में काम कर रहा हूं कि हम उस धारणा को बदल दें..."

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रमेश कपूर ने कहा कि उन्होंने जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सर्वे किया है और राज्य दर राज्य मुस्लिम और हिन्दू वोटों का आंकड़ा हासिल किया है.

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उन्होंने कहा, "चुनाव अभियान चलाने वालों को आसानी से समझ आए, इसलिए उनकी एक-दूसरे से तुलना की गई... कड़े मुकाबले वाले राज्यों में हमारी (हिन्दू) तादाद मुस्लिम वोटों के मुकाबले बहुत ज़्यादा कम नहीं है..."

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Axios ने अपनी हालिया रिपोर्ट में विस्कॉन्सिन, जॉर्जिया, पेन्सिल्वेनिया और एरिज़ोना को कड़े मुकाबले वाले राज्य करार दिया है.

कड़े मुकाबले वाला राज्य उसे माना गया है, जिसमें डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों उम्मीदवारों के जीतने की अच्छी संभावना होती है और इसे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे के लिए अहम माना जाता है. कई लोगों का मानना है कि वर्जीनिया, मिशिगन और फ्लोरिडा भी 2024 के चुनावों के परिणामों में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

रमेश कपूर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जॉर्जिया में 123,000 मुसलमानों की तुलना में 172,000 हिन्दू हैं. इसी तरह, पेन्सिल्वेनिया में 150,000 मुसलमानों की तुलना में लगभग 130,000 हिन्दू हैं. एरिज़ोना में लगभग 74,000 हिन्दू और लगभग 110,000 मुस्लिम हैं. विस्कॉन्सिन में 38,400 हिन्दू और 68,000 मुस्लिम हैं. वर्जीनिया में लगभग 200,000 हिन्दू और लगभग 170,000 मुस्लिम हैं. मैसाचुसेट्स में 131,000 मुस्लिमों की तुलना में 75,000 हिन्दू हैं, जबकि फ्लोरिडा में 202,000 हिन्दू और 127,172 मुस्लिम हैं.

रमेश कपूर का कहना है कि बराक ओबामा प्रशासन ने अपने आठ वर्षों के कार्यकाल के दौरान 'हिन्दुओं की कीमत पर' मुसलमानों की 'सेवा' की थी. उन्होंने कहा, "अब मध्य पूर्व में जो कुछ हो रहा है, उससे मुसलमान परेशान हैं और उन्हें लगता है कि यहूदी समुदाय... और इज़रायल को ज़्यादा दिया गया है, और वे (बाइडेन प्रशासन) उस इलाके में फ़िलस्तीन और अरबों की तुलना में उनका (इज़रायल और यहूदियों का) अधिक पक्ष ले रहे हैं..."

मुस्लिम-अमेरिकनों की नाराज़गी पिछले सप्ताह वॉशिंगटन DC में आयोजित DNC के शीत रिट्रीट में साफ़ नज़र आई, जहां उनके समुदाय के अहम फंडरेज़रों में से केवल एक ही शामिल हुआ.

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