पेगासस मुद्दे पर पीएम मोदी को साफ करना चाहिए कि क्या जासूसी की गई थी : पी चिदंबरम

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि पीएम मोदी को संसद में बयान देना चाहिए, जांच के लिए सरकार को जेपीसी बनानी चाहिए

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कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

पेगासस जासूसी के आरोपों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार को जेपीसी बनानी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट से जांच के लिए मौजूदा जज नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेगासस मुद्दे पर संसद में बयान देना चाहिए, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या जासूसी की गई थी?

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति द्वारा जांच की तुलना में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा जांच अधिक प्रभावी हो सकती है. उन्होंने कहा कि अगर फ्रांस, इजराइल पेगासस जासूसी मामले की जांच के आदेश दे सकते हैं तो भारत क्यों नहीं? 

उधर, शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को पूछा कि पेगासस द्वारा नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी का वित्तपोषण किसने किया? उन्होंने इसकी तुलना हिरोशिमा परमाणु बम हमले से करते हुए कहा कि जापान के इस शहर पर हमले से लोगों की मौतें हुईं तो वहीं इजराइली सॉफ़्टवेयर की जासूसी से ‘स्वतंत्रता की मौत' हुई. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' के अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक' में राउत ने यह बात लिखी.

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उन्होंने कहा कि नेता, उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह डर है कि उनकी जासूसी की जा रही है और यहां तक कि न्यायपालिका और मीडिया भी इसी दबाव में है. सामना के कार्यकारी संपादक ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में स्वतंत्रता का वातावरण कुछ साल पहले खत्म हो गया.'' उन्होंने यह भी पूछा कि इजराइली सॉफ्टवेयर के ज़रिए कथित जासूसी का वित्तपोषण किसने किया. 

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मीडिया में आई एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि इजराइली कंपनी एनएसओ पेगासस सॉफ़्टवेयर के लाइसेंस तौर पर सालाना 60 करोड़ रुपये का शुल्क लेती है. राज्यसभा सदस्य ने कहा कि एक लाइसेंस के जरिए 50 फोनों को हैक किया जा सकता है, तो ऐसे में 300 फोन के लिए छह से सात लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी. राउत ने पूछा, ‘‘क्या इतना धन खर्च किया गया? किसने इसका भुगतान किया? एनएसओ का कहना है कि वह अपना सॉफ़्टवेयर सिर्फ सरकारों को बेचता है. अगर ऐसा है तो, भारत में किस सरकार ने इस सॉफ्टवेयर की खरीद की? भारत में 300 लोगों की जासूसी पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए गए. क्या हमारे देश के पास जासूसी पर इतना धन खर्च करने की क्षमता है?''

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