हिमाचल प्रदेश में सरकार और राज्यपाल में ठनी, फंस रहा कुलपतियों की नियुक्ति का पेंच

सरकार ने कृषि और बागवानी विश्व विद्यालय को लेकर एक बिल पारित किया है, जो मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास पड़ा रहा. अब राजभवन ने उसमें कुछ आपत्तियां लगाई हैं और बिल को वापिस भेजा दिया.

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  • हिमाचल प्रदेश में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है
  • राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों के हित में नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करते हुए आवेदन की तिथि बढ़ा दी थी
  • मुख्यमंत्री ने कहा राज्यपाल के पास कई महत्वपूर्ण बिल मंजूरी के लिए लंबित हैं
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हिमाचल प्रदेश में 2 विश्विद्यालय के कुलपतियो की नियुक्तियों को लेकर राज्यपाल और सरकार में ठन गई है. नियुक्ति को लेकर राज्यपाल ने कहा कि, 'विद्यालय के हित में मैंने फैसला लिया है और ये सही निर्णय है, बाकी जनता विचार कर लेगी. वहीं, सीएम कह रहे हैं कि, 'राज्यपाल को विधानमंडल ने ही कुलाधिपति की शक्तियां दी हैं. इस अमल सरकार के निर्देश पर होना चाहिए. कुलपतियों के नियुक्ति बिल के अलावा राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए कई और बिल लंबित है, उन पर ध्यान देने की जरूरत है.

दो विश्वविद्यालयों का है मामला

दरअसल हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन में कुलपतियों की नियुक्ति होनी है, जिसे लेकर राज्यपाल और सरकार आमने-सामने आ गए हैं. राजभवन की तरफ से दोनों विश्व विद्यालय में कुलपति की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिसे सरकार ने रद्द कर दिया था. लेकिन राजभवन ने आवेदन की तिथि बढ़ा दी.

हाईकोर्ट ने लगाई राज्यपाल के आदेश पर रोक

इस बीच एक याचिका पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए इस पर रोक लगा दी है. सरकार ने दोनों विश्व विद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर विधानसभा में संशोधन बिल पारित किया है, जिसे राज्यपाल की मंजूरी को भेजा गया है. राज्यपाल ने बिल पर कुछ आपत्ति लगाते हुए बिल वापिस भेज दिया, जिससे टकराव और बढ़ गया.

'जो निर्णय हमने लिए हैं वो प्रदेश और विश्वविद्यालय के हित में'

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि, 'हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री संशोधन विधेयक को दोनों विश्वविद्यालय के हित में वापिस भेजा है. हाईकोर्ट ने जो रोक लगाई है उसमें उनका कुछ कहना नहीं है, जो निर्णय हमने लिए हैं वो प्रदेश और विश्वविद्यालय के हित में है. जो करना होगा वो करेगें. आखिर कृषि और बागवानी विश्वविद्यालय के साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है, इस पर जनता विचार करेगी तो खुद समझ आ जाएगा.'

'सरकार निर्देश देती है तो उसे कुलाधिपति को मानना चाहिए'

वहीं मामले को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि, 'विश्व विद्यालय में कुलाधिपति को राज्य विधानमंडल शक्तियां देता है. जब सरकार निर्देश देती है तो उसे कुलाधिपति को मानना चाहिए और उसकी अनुपालना की जानी चाहिए. सरकार ने कुलपति की नियुक्ति की. अधिसूचना को वापिस लेने को कहा. लेकिन राजभवन ने आवेदन की तिथि बढ़ा दी. अब हाई कोर्ट ने भी उसमें स्टे दिया है.'

'कई अहम बिल राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए लंबित'

सरकार ने कृषि और बागवानी विश्व विद्यालय को लेकर एक बिल पारित किया है, जो मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास पड़ा रहा. अब राजभवन ने उसमें कुछ आपत्तियां लगाई हैं और बिल को वापिस भेजा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा भी कई अहम बिल राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए लंबित हैं, जिसमें सुखाश्रय बिल, भ्रष्टाचार संबंधी बिल हैं, जिसे मंजूरी नहीं मिली है. सीएम सुक्खू ने कहा कि वो इसको लेकर राज्यपाल से बात करेंगे और जल्द समाधान निकाला जाएगा.

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