INSIDE STORY : 10 दिन से बन रही थी BJP की रणनीति, हिमाचल में पर्दे के पीछे से कांग्रेस को ऐसे हराया

हिमाचल प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने BJP कैंडिडेट के हक में क्रॉस वोटिंग की. दोनों प्रत्याशियों को 34-34 वोट मिलने के बाद टॉस हुआ, जिसमें बाजी बीजेपी उम्मीदवार के हाथ लगी.

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नई दिल्ली/शिमला:

राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2024) के बाद हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Crisis) की सियासत में हलचल तेज हो गई हैं. राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए मंगलवार को वोटिंग हुई. राज्य में कांग्रेस (Congress) की सत्ता रहते हुए भी बीजेपी (BJP) ने ये सीट जीत ली. कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी. निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी का साथ दिया. इन सबके बीच बेशक सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) सरकार ने बजट पास करा लिया हो, लेकिन सुक्खू की 14 महीने पुरानी सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. पार्टी के कई विधायक और मंत्री सीएम सुक्खू के काम करने के तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान पर भी कटघरे में है. आइए जानते हैं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस हाईकमान से कहां लापरवाही हुई? कैसे सुक्खू सरकार पर संकट के बादल छा गए:-

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हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए के एक ही फेज में 12 नवंबर 2022 को चुनाव हुए. 8 दिसंबर 2022 को नतीजे आए. कांग्रेस ने 40 सीटें जीती, बीजेपी के खाते में 25 सीटें आईं. पूर्ण बहुमत मिलते ही पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के गुट ने सीएम पद पर दावेदारी पेश कर दी. इस गुट की मांग थी कि वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को सीएम पद दिया जाए. जबकि एक और गुट प्रियंका गांधी के करीबी और वीरभद्र के विरोधी रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाने की मांग कर रहा था. 

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काफी सोच-विचार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने सुक्खू पर भरोसा जताया. पार्टी ने प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया और उनके बेटे विक्रमादित्य को सरकार में मंत्री पद दिया गया. लेकिन चीजें नहीं बदली. दोनों गुटों में तनातनी जारी रही. बीजेपी को भी इसकी खबर थी.

10 दिन पहले ही बीजेपी ने बनाई थी प्लानिंग
बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा सीट पर कांग्रेस को मात देने की प्लानिंग काफी पहले ही बना ली थी. चुनाव से करीब 10 दिन पहले यानी 17 फरवरी को दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई. इस दौरान पार्टी के हिमाचल प्रदेश के बड़े नेताओं ने केंद्र के बड़े नेताओं को बताया कि हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को मात दी जा सकती है.

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इसके बाद बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष जे पी नड्डा, जयराम ठाकुर और पार्टी के उपाध्यक्ष सौदान सिंह को इस पूरे काम में लगा दिया. 17 और 18 फरवरी को दिल्ली में मोटे तौर पर ये तय हुआ कि बीजेपी कैसे ये चुनाव जीत सकती है. 

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सुक्खू से नाराज़ हैं ये तीन नेता
राज्य के बीजेपी नेताओं का ग्राउंड से फीडबैक था कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिमा सिंह, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह और मुकेश अग्निहोत्री का गुट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज़ हैं. क्योंकि अपने एक साल के कार्यकाल में सुक्खू ने इनके सभी कामों जैसे ट्रांसफर, पोस्टिंग, अपॉइंटमेंट वगैरह पर एक तरीके से फुलस्टॉप लगा रखा था. 

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आलाकमान ने उम्मीदवार चुनने में की गलती
दूसरी तरफ, कांग्रेस आलाकमान ने भी उम्मीदवार चुनने में गलती की. पार्टी ने हिमाचल के बाहरी अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बना दिया, जबकि प्रतिभा सिंह खुद राज्यसभा की उम्मीदवारी चाहती थीं. 

आनंद शर्मा ने प्रतिभा सिंह से मिलाया हाथ
राहुल गांधी की मुखालफत करके कांग्रेस के भीतर ही एक ग्रुप G-23 बना था. इसी G-23 में शामिल माने जाने वाले पार्टी के दिग्गज नेता आनंद शर्मा भी फिर से राज्यसभा जाना चाह रहे थे. हालांकि, आंनद शर्मा और रानी प्रतिभा सिंह के खेमों में बनती नहीं है, लेकिन सुक्खू को सबक सीखाने के लिए आनंद शर्मा और प्रतिभा सिंह एक साथ आ गए. सूत्र बताते हैं कि इस काम में बड़ी भूमिका एक और दिग्गज नेता मुकेश अग्निहोत्री की रही. 

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हालांकि, कांग्रेस हाईकमान को इस प्लानिंग का कुछ आइडिया जरूर था. तभी सोनिया गांधी को हिमाचल के बजाय राजस्थान से राज्यसभा भेजा गया. जबकि अभिषेक मनु सिंघवी को पार्टी के टॉप लीडर्स ने ज़िम्मेदारी दी कि आप शिमला में ही रहें और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से बात करें. सिंघवी को दिल्ली का आशीर्वाद भी था.

बीजेपी ने ऐसे चली चाल
लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस की इस कमी को भांप लिया. पार्टी ने हर्ष महाजन को हिमाचल में राज्यसभा सीट का प्रत्याशी बना दिया. महाजन कांग्रेस से टूटकर विधानसभा चुनावों के पहले ही बीजेपी में आये थे. वो वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के बेहद करीबी रहे हैं. इसलिए उन्हें प्रतिभा सिंह और उनके खेमे के विधायकों को अपने साथ लाने में ज्यादा पापड़ नहीं बेलने पड़ते.

हर्ष महाजन की जीत को पक्का करने के लिए बीजेपी की लीडरशिप ने पहाड़ की राजनीति के महारथी माने जाने वाले सौदान सिंह को काम पर लगाया. उन्हें मंगलवार को वोटिंग के पहले ही शिमला पहुंचा दिया. सूत्रों के मुताबिक, सौदान सिंह ने हर्ष महाजन के जरिए कांग्रेस से नाराज चल रहे 9-10 विधायकों से संपर्क साधा. सौदान सिंह ने इन विधायकों को बीजेपी के लिए वोट करने के लिए मना लिया. इसके बदले में इन लोगों को नई सरकार बनने पर उनके काम होने का भरोसा दिलाया गया. 

सुक्खू से भी हुई बड़ी चूक
इसमें सीएम सुक्खू की सबसे बड़ी चूक ये रही कि उन्होंने पार्टी के विधायकों की नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया. सुजानपुर के कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने सीएम के सामने कई मामले उठाए. लेकिन बताया जा रहा है कि सुक्खू ने इनपर ध्यान नहीं दिया. पार्टी हाईकमान भी इन नाराज विधायकों को मनाने में लापरवाह रही. 

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इसके बाद राज्यसभा चुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने BJP कैंडिडेट के हक में क्रॉस वोटिंग की. दोनों प्रत्याशियों को 34-34 वोट मिलने के बाद टॉस हुआ, जिसमें बाजी बीजेपी उम्मीदवार के हाथ लगी.

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