हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को राज्य की केबिनेट ने मंजूरी दे दी है, हालांकि राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि यह सुनिश्चित हो कि भांग का औषधियों के लिए उपयोग हो, नशे के लिए नहीं.
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती शुरू करने के लिए विधानसभा में चर्चा हुई थी और इसके बाद एक कमेटी गठित की गई थी. कमेटी ने उत्तराखंड व अन्य राज्यों में भांग के औषधियों के निर्माण व आद्योगिक उपयोग के बारे में सरकार को रिपोर्ट दी. इस पर धर्मशाला में आयोजित हुई कैबिनेट की बैठक में हिमाचल सरकार ने इसे मंजूरी दे दी.
धर्मशाला में हुई कैबिनेट बैठक में भांग की खेती पर मंजूरी के फैसले के बाद हिमाचल के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भांग की खेती पर पायलट अध्ययन को मंजूरी दे दी गई है. मंत्रिमंडल ने चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा संयुक्त रूप से भांग की खेती पर एक पायलट अध्ययन को मंजूरी दी. यह अध्ययन भांग की खेती के विषय में भविष्य की रूपरेखा का मूल्यांकन करेगा और सिफारिश करेगा.
भांग की खेती को कैबिनेट से मिली सैद्धांतिक मंजूरी को लेकर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि, एक समय पर हिमाचल प्रदेश को मलाणा को लेकर गर्व था विदेशों तक इसकी चमक थी लेकिन आज इस चमक के नशे के कारण नौनिहालों को खोना पड़ रहा है. ऐसे में भांग का केवल औषधीय उपयोग हो इस बात पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. हिमाचल में दवाओं के सेंपल लगातार फैल हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है. सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई कर दोषियों को दंडित करना चाहिए.