हिमाचल में बादल फटने के बाद चट्टान पर टिके इस मकान का क्या हुआ जानिए पूरी कहानी?

हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से भारी तबाही मची है. जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा, "प्रदेश में बरसात से भारी नुकसान हो रहा है. लगातार हो रही बरसात से खासकर मंडी जिले में भारी नुकसान हुआ है."

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
हिमाचल के मंडी के सियाठी गांव में भारी तबाही. गांव के लगभग सब घर हुए तबाह.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • सियाठी गांव का एक मकान पहाड़ी के ऊपर टिका हुआ था. इस मकान की फोटो काफी वायरल हुई थी.
  • ये मकान पूर्व सैनिक जय सिंह का था, जो अपनी पत्नी के इसमें रहते थे. लेकिन 30 जून को बादल फटने के कारण उन्हें अपना मकान छोड़कर जाना पड़ा खा
  • इस गांव के केवल चार घरों का ढांचा अब बचा है, बाकी मलबे में तब्दील हो गए. वहीं पहाड़ी पर टिका ये मकान भी अब गिर गया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
मंडी:

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर सियाठी गांव के एक मकान की फोटो खूब वायरल हुई थी. फोटो में एक टूटी पहाड़ी पर एक मकान टिका हुआ नजर आ रहा था. NDTV की टीम जब 5 किलोमीटर पैदल चलकर सियाठी गांव पहुंचा तो पता चला कि अब भी भूस्खलन हो रहे हैं. सारे रास्ते कट गए हैं और ये मकान जिस पहाड़ के एक हिस्से पर टिका था वो पहाड़ भी टूटकर नीचे गिर गया है. अब पूरा सियाठी गांव मलबे में बदल चुका है. सिर्फ चार घर का ढांचा बचा है. लेकिन पीछे की मिट्टी पहाड़ के साथ दरक रही है. 

पहाड़ पर टिका ये मकान किसका था? 

पहाड़ के एक हिस्से में टिका मकान पूर्व सैनिक जय सिंह का था. वो अपनी विकलांग पत्नी के साथ यहां रहते थे. उनके बच्चे दूसरी जगह पर बने मकान पर थे. रात 12 बजे जब सियाठी गांव के लोग एक कुत्ते के रोने और तेज भौंकने से उठे तब जयसिंह भी उठ गए थे. उनकी विकलांग पत्नी को उनके बेटे ने कंधे पर उठाकर सियाठी गांव से ऊपर दो किमी दूर त्रियंबला गांव में पहुंचाया.

त्रियंबला गांव के उप प्रधान प्रिथी वर्मा बताते हैं कि जय सिंह और उनकी पत्नी बाल-बाल बचे. लेकिन 5 जुलाई को हुई बारिश में जयसिंह का पहाड़ी के हिस्से पर बचा मकान भी पहाड़ के मलबे में दब गया. अब जय सिंह अपने एक रिश्तेदार के यहां रहने चले गए हैं.

Advertisement

बता दें कि इस गांव में कुल 20 परिवार रहते थे. सही समय पर इन लोगों ने अपना गांव खाली कर दिया. कुल 67 लोगों ने पास के ही एक गांव के नैना देवी मंदिर में शरण ली है. 

Advertisement

Featured Video Of The Day
Marathi Language Controversy पर दिन पर दिन क्यों बढ़ता जा रहा बवाल? | Kachehri With Shubhankar Mishra