हिमाचल प्रदेश : भूस्खलन के बाद शिमला आईआईएएस की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ीं

शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें आ गई हैं और एहतियाती कदम उठाए गए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
भूस्खलन से देवदार के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए

शिमला: शिमला में वायसरीगल लॉज के बाहरी प्रांगण में भूस्खलन ने 149 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक इमारत की सुरक्षा के बारे में चिंता खड़ी कर दी है. इस स्थान में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) है. यहां समर हिल में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन से देवदार के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए और एक शिव मंदिर ढह गई, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई. ऐसा प्रतीत होता है कि यह भूस्खलन आईआईएएस के विस्तारित प्रांगण की परिधि से शुरू हुआ.

ये भी पढ़ें- त्रिपुरा : एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के शक में महिला और युवक की बिजली के खंभे से बांधकर पिटाई

शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें आ गई हैं और एहतियाती कदम उठाए गए हैं.....उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएएस में भूस्खलन की आशंका है जिससे जान और माल का नुकसान हो सकता है. हमने राज्य के भूविज्ञानी को पत्र लिखकर आईआईएएस का निरीक्षण करने तथा इस संबंध में तत्काल एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.''

Advertisement

ये भी पढ़ें- दिल्ली के बाल विकास अधिकारी पर नाबालिग से बलात्कार का आरोप, POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज

ऑब्जर्वेटरी हिल में स्थित वायसरीगल लॉज पहाड़ी को काटकर बनाया गया था और इसका मलबा ढलानों पर फेंक दिया गया जो वक्त के साथ ठोस बन गया है. मुख्य इमारत 1880 के दशक की शुरुआत में बनाई गई और यह 1884-1888 में वायसरॉय लॉर्ड डफरिन का निवास स्थान रहा. यह इमारत अच्छी स्थिति में है. यह भीषण भूस्खलन मलबे के कारण हुआ जो रिसाव से दरकने लगा है. आजादी के बाद इस लॉज को ‘‘राष्ट्रपति भवन'' का नाम दिया गया क्योंकि भारत के राष्ट्रपति गर्मियों के दौरान यहां आते थे तथा रहते थे.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Waqf Amendment Bill: Lok Sabha में बिल होने से पहले क्या बोला All India Muslim Personal Law Board
Topics mentioned in this article