हिमाचल : 3 निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा, सुक्‍खू बोले - गलत किया होगा तभी इस्‍तीफा दिया

पिछले महीने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. 

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CM सुक्खू ने कहा कि निर्दलीय विधायकों को इस्तीफा नहीं देना चाहिए था, जनादेश का सम्मान करना चाहिए था. (फाइल)
शिमला :

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में हालिया राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया. निर्दलीय विधायकों में से एक ने संवाददाताओं से कहा कि वे भाजपा में शामिल होंगे और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. तीन निर्दलीय विधायकों आशीष शर्मा (हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र), होशियार सिंह (देहरा) और के.एल. ठाकुर (नालागढ़) ने शुक्रवार को शिमला में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर से मुलाकात की और उसके बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया. होशियार सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. हम भाजपा में शामिल होंगे और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.''

तीनों निर्दलीय विधायकों ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया और उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा. हालांकि, बाद में जब कांग्रेस ने 40 विधायकों के साथ सरकार बनाई तो तीन निर्दलियों ने सरकार का समर्थन किया था. निर्दलीय विधायकों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू विधायकों और उनके परिवारों को निशाना बना रहे हैं और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आदेश दे रहे हैं.

पिछले महीने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. 

कटौती प्रस्ताव और बजट के दौरान सदन में उपस्थित रहने और सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के व्हिप का उल्लंघन करने के लिए कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. 

निर्वाचन आयोग ने एक जून को अंतिम चरण में चार लोकसभा सीटों के साथ-साथ कांग्रेस विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद रिक्त हुई छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की थी. 

होशियार सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने गए थे लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे. सिंह ने कहा कि इसके बाद उन्होंने विधानसभा सचिव को अपना त्यागपत्र सौंप दिया और बाद में राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल से मुलाकात कर उन्हें घटनाक्रम से अवगत कराया.

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सिंह ने कहा, ‘‘हमारी अंतरात्मा ने राज्यसभा चुनाव में किसी बाहरी व्यक्ति- कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी- को वोट देने की इजाजत नहीं दी और अपनी इच्छा के अनुसार वोट करना हमारा अधिकार है.''

उन्होंने दावा किया कि चुनाव के बाद राज्य सरकार ने प्रतिशोध की राजनीति शुरू कर दी है.

सिंह ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, हमने इस्तीफा देने का फैसला किया है. हम भाजपा में शामिल होंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे और देश के साथ-साथ राज्य को भी मजबूत करेंगे.''

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केएल ठाकुर ने दावा किया कि कांग्रेस शासन के तहत पिछले 14 महीनों में विकास रुक गया और ‘‘हम लोगों के लिए काम करने में असमर्थ थे. ऐसे में विधायक बने रहने का कोई मतलब नहीं था.''

इस्‍तीफा नहीं देना चाहिए था : सुक्‍खू 

इस बीच, मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि निर्दलीय विधायकों को इस्तीफा नहीं देना चाहिए था और जनादेश का सम्मान करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि पूरे प्रकरण में पैसा शामिल था या विधायकों पर दबाव डाला गया. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘(उन्होंने) कुछ गलत किया होगा, तभी इस्तीफा दिया है.''

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छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के साथ, 68 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 40 से घटकर 34 रह गई है. सदन में भाजपा के 25 सदस्य हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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