1 लाख लोगों के 2500 करोड़ रुपये लेकर दुबई भागा हिमाचल का 'क्रिप्टो ठग', कैसे वापस मिलेगी रकम?

हिमाचल के क्रिप्टो करेंसी स्कैम में 5000 सरकारी कर्मचारियों ने भी पैसा लगाया था. कुछ लोगों ने तो नौकरियां तक छोड़ दी. जिन लोगों को फॉरलेन में ज़मीन का मुआवज़ा मिला, उनका पैसा भी इस ठगी में लगवाया गया. मामले में पुलिस जल्द चालान काटेगी. पुलिस ने इस मामले में 80 मोबाइल जब्त किए हैं.

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नई दिल्ली/शिमला:

हिमाचल के 2500 करोड़ क्रिप्टो करेंसी घोटाले (Himachal Crypto Currency Scam)में 5 हजार सरकारी कर्मचारियों समेत एक लाख लोग ठगे गए. 4 पुलिस कर्मचारियों समेत अब तक 18 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. 12 करोड़ की संपति भी जब्त की गई है. स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT)बनाई गई है, जिसकी जांच जारी है. टेरर फंडिंग की आशंका को देखते हुए केंद्रीय एजेंसियों से भी मदद मांगी गई है. हालांकि, अब हिमाचल के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी घोटाले में 500 करोड़ रुपये वापस नहीं मिलेंगे. जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी से ठगी का मास्टरमाइंड सुभाष शर्मा (Subhash Sharma) 200 करोड़ कमाकर दुबई भाग गया. उसको भारत वापस लाने की कोशिश की जा रही है.

क्रिप्टो में 5000 सरकारी कर्मचारियों ने भी पैसा लगाया था. कुछ लोगों ने तो नौकरियां तक छोड़ दी. जिन लोगों को फॉरलेन में ज़मीन का मुआवज़ा मिला, उनका पैसा भी इस ठगी में लगवाया गया. मामले में पुलिस जल्द चालान काटेगी. पुलिस ने इस मामले में 80 मोबाइल जब्त किए हैं. 

अब तक 18 आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी घोटाले में अब तक 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. 12 करोड़ की संपति भी जब्त की गई है. पैसे दोगुने करने की लालच में एक लाख लोग ठगे गए हैं. इनमें 5 हजार सरकारी कर्मचारी शामिल हैं. घोटाले में पुलिस कर्मचारियों की भी मिली भगत रही. SIT ने 2 करोड़ से ज़्यादा कमाने वाले 4 पुलिस वालों को गिरफ्तार किया है. मार्च में 8 लोगों की शिकायत पर SIT बनाई गई थी. अब तक 300 लोग शिकायत कर चुके हैं. 

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मुख्य सरगना सुभाष शर्मा की 3 करोड़ की संपत्ति भी जब्त
हिमाचल प्रदेश के DGP संजय कुंडू के मुताबिक मामले में जब्त की गई 12 करोड़ की संपत्ति में दुबई भागे मुख्य सरगना सुभाष शर्मा की 3 करोड़ की संपत्ति भी शामिल है. पुलिस ने कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट पेश कर दी है. वैसे हमीरपुर के एकमात्र आरोपी को ज़मानत भी मिल गई. हिमाचल पुलिस टेरर फंडिंग की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसियों से भी मदद मांग रही है. 

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मंडी और हमीरपुर के लोग सबसे ज्यादा हुए शिकार
मंडी और हमीरपुर के लोग क्रिप्टो करेंसी घोटाले का सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं. इसके साथ ही कांगड़ा, सिरमौर, कुल्लू, बिलासपुर के लोग भी ठगे गए. पुलिस ने ढाई लाख फेक ID का पता लगाया है. फर्जी वेबसाइट भी डिकोड की गई है.

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देहरा के विधायक ने सबसे पहले उठाया था मामला
विधानसभा के मॉनूसन सत्र में देहरा के विधायक होशियार सिंह ने मामला सदन में उठाते हुए सरकार से कार्रवाई की मांग की थी, जिसके बाद ये घोटाला सामने आया. देहरा विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों लोग इसके शिकार हुए है. 

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क्या कहते हैं पीड़ित
एक पीड़ित ने बताया, "शुरू-शुरू में इनकम आ रही थी. इस दौरान वो हमारे रिश्तेदार, भाई-बहन या दोस्त या जानने वालों के बारे में पूछ लेते थे. फिर हमारे रेफरेंस से उनके घर जाकर उन्हें क्रिप्टो करेंसी से इनकम का ऑफर के बारे में बताया. इनकम की लालच में मेरे जैसे कई लोगों और रिश्तेदारों ने पैसे लगाए. कुछ दिनों तक तो पैसा आया. बाद में पैसे देने पता चला कि हम ठगी का शिकार हुए हैं."

सरकार लोगों को न्याय दिलाएगी-डिप्टी सीएम
हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पुलिस क्रिप्टो करेंसी सरगनाओं के खिलाफ उचित कार्रवाई कर प्रदेश के लोगों को न्याय दिलाएगी. डिप्टी सीएम ने क्रिप्टो नेटवर्क को तोड़ने और मंडी से आरोपी हेमराज और सुखदेव, ऊना से अरुण गुलेरिया और अभिषेक सहित कई गिरफ्तारियां की हैं. उन्होंने कहा कि मंडी जिला के सरकाघाट का एक अन्य आरोपी सुभाष शर्मा भी जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा.

गृह मंत्रालय ने भी मदद का दिया भरोसा
गृह मंत्रालय ने भी पुलिस को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि अपराधियों के खिलाफ अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2019 के तहत कार्रवाई की जा रही है. इस अधिनियम के तहत दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है.

बता दें कि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है. जो लेनदेन को वेरिफाई करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं है. इसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है, इसलिए इसका नाम क्रिप्टोकरेंसी है. पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी, जिसे 2009 में स्थापित किया गया था. आज भी यह सबसे प्रसिद्ध है. 

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