हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ में रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान महिला आईपीएस अधिकारियों के हाथ में रही. आपदा प्रभावित कुल्लू और मंडी जिले में महिला एसपी अधिकारी ही मोर्चा संभाले हुए हैं. प्रदेश पुलिस की मुखिया DGP भी महिला ही हैं. इस आपदा में महिला पुलिस अधिकारियों न जिस प्रकार का सराहनीय काम इन्होंने किया, अब इसके लिए इनकी तारीफ हो रही है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इन महिला पुलिस अधिकारियों की तारीफ की है.
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर कुल्लू व मंडी की SP की फोटो शेयर की है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा कि हिमाचल में आई आपदा में महिला अधिकारियों ने जिस कुशलता से राहत और बचाव कार्य की कमान संभालकर लोगों की जान बचाई, वह गर्व की बात है. ये वाकई जनसेवा और समर्पण की मिसाल पेश करने वाली अधिकारी हैं.
सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा
संकटों को सहजता से संभालते हुए इन महिलाओं ने न केवल सोशल मीडिया पर तहलका मचा रखा है, बल्कि समुदाय में कई लोगों का सम्मान भी हासिल किया है. गंभीर रेड अलर्ट के बावजूद लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकालना आसान काम नहीं था. मंडी जिले की एसपी सौम्या साम्बशिवन याद करती हैं कि लोगों को अपना घर और सामान छोड़ने के लिए समझाना कितना मुश्किल था.
दो घंटे में लोगों को किया शिफ्ट
NDTV से बात करते हुए सौम्या बताती हैं, “लोगों को निकालने के लिए हमारे पास दो घंटे थे. मैंने उनसे कहा कि वे अपने जरूरी दस्तावेज और कीमती सामान लेकर निकलें, लेकिन उन्हें समझाना बहुत मुश्किल था. जितने अधिक पढ़े-लिखे लोग हैं, वे उतना ही अधिक तर्क-वितर्क करते हैं.''
लोगों को समझाना मुश्किल था
जब ब्यास नदी खतरे के निशान को पार करने लगी तो सांबासिवन ने मंडी जिले में नदी के किनारे के लोगों को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बताया, "कुछ लोग, जिनमें ज्यादातर बांग्ला समुदाय के कूड़ा बीनने वाले लोग थे. अपनी झुग्गियां छोड़ने को तैयार नहीं थे. वहां रहने वाले बुजुर्ग लोगों को समझाना मुश्किल था.”
संचार लाइन बहाल करने में आई दिक्कत
वहीं, कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा के लिए सबसे बड़ी चुनौती संचार लाइनों को बहाल करना था. NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यहां तक कि पुलिस प्रतिष्ठानों के बीच भी पूरी तरह से संचार टूट गया था. इसलिए जीवन और संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन करना बहुत मुश्किल था.”
पर्यटकों से संपर्क करना बड़ी चुनौती
कुल्लू एक पर्यटन केंद्र होने के कारण पर्यटकों से संपर्क स्थापित करना अधिक कठिन था. उन्होंने बताया, "जून यहां कुल्लू में पीक सीजन है, जो जुलाई में फैल जाता है. इसलिए बहुत सारे लोग यहां थे. संचार की कमी के कारण हम यह आकलन नहीं कर सके कि राहत और बचाव कार्य शुरू में कहां केंद्रित किया जाना चाहिए."
वह आगे बताती हैं, "वहां सैकड़ों होम स्टे, होटल और अब ज़ोस्टेल भी हैं. इसलिए हमें अपना अभियान चलाना पड़ा, लेकिन बिजली नहीं होने के कारण अंधेरे के बाद बचाव अभियान में भी समस्या हो रही थी." चूंकि क्षेत्र में कई स्थानों पर मोबाइल कनेक्टिविटी भी टूट गई थी. इसलिए पुलिस को सैटेलाइट फोन के जरिए संपर्क स्थापित करना पड़ा.
पशुधन की रक्षा करना भी एक जिम्मेदारी
एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री के लिए यह तटबंधों के किनारे बसे गुज्जरों के पशुधन की रक्षा करना था. वह कहती हैं, “हमारे सामने एक और समस्या यह थी कि ब्यास नदी ऊपरी क्षेत्र से बहुत सारी लकड़ियां ला रही थी और उन्हें जलग्रहण क्षेत्र में जमा कर रही थी. ये लकड़ियां अत्यधिक मूल्यवान हैं. स्थानीय लोग इन्हें खींचने के लिए पानी में उतरते हैं. इसलिए लोगों को पानी में जाने से रोकने के लिए पुलिस इस क्षेत्र में लगातार निगरानी रख रही है."
क्या कहती हैं डीजीपी?
दिलचस्प बात यह है कि पूरे बचाव और राहत अभियान का नेतृत्व भी एक महिला अधिकारी कर रही हैं जो राज्य के डीजीपी के रूप में कार्यरत हैं - सतवंत अटवाल त्रिवेदी. उन्होंने पीएचक्यू में एक वॉर रूम स्थापित किया और लगातार सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचीं. वह अपनी टीम को 24x7 जुटाने में कामयाब रही और अथक रूप से अधिकतम संख्या में फंसे हुए पर्यटकों और स्थानीय लोगों तक पहुंचने में लगी रही, जो भूस्खलन के कारण सड़क संपर्क टूटने के कारण खुद को कटा हुआ पाते हैं.
उन्होंने कहा, “हिमाचल पुलिस तब तक काम करती रहेगी जब तक आखिरी मेहमान सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच जाता. सभी का हिसाब-किताब नहीं हो जाता. हम अलर्ट पर हैं. हम खाकी हैं और मदद के लिए तैयार हैं."