पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल (Manpreet Singh Badal) को हाईकोर्ट (HC) से बड़ी राहत मिली है. प्लॉट अलॉटमेंट घोटाले (Plot Allotment Scam) में हाईकोर्ट ने मनप्रीत बादल को अंतरिम जमानत दे दी है. इसके साथ ही पंजाब सरकार (Punjab Government) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने मनप्रीत बादल को जांच में शामिल होने के दिए आदेश दिए हैं.
बठिंडा ट्रायल कोर्ट ने मनप्रीत बादल को नहीं दी जमानत
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मनप्रीत बादल (Manpreet Badal) के खिलाफ प्लॉट अलॉटमेंट घोटाले के आरोप में बठिंडा में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत 24 सितंबर को FIR दर्ज करवाई थी. बठिंडा ट्रायल कोर्ट से मनप्रीत बादल को जमानत नहीं मिली थी. पिछले हफ्ते ही बठिंडा की ट्रायल कोर्ट ने मनप्रीत बादल की जमानत याचिका खारिज की थी, जिसके बाद मनप्रीत बादल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमानत मांगी है.
कई राज्यों में छापेमारी के बावजूद नहीं हो सकी गिरफ्तारी
पंजाब सतर्कता ब्यूरो की कई टीम ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की थी लेकिन मनप्रीत बादल को अभी तक पकड़ा नहीं जा सका. ब्यूरो ने बठिंडा में एक संपत्ति की खरीद में कथित अनियमितताओं के संबंध में बादल और पांच अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बादल के खिलाफ बठिंडा की अदालत ने पिछले महीने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इससे पहले उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया था.
सिंगला की शिकायत के आधार मामले की जांच शुरू
सतर्कता ब्यूरो ने पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला की 2021 की शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें बठिंडा में एक प्रमुख स्थान पर संपत्ति की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया गया था. भाजपा नेता सिंगला ने आरोप लगाया था कि पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए बादल ने दो वाणिज्यिक भूखंडों को अपने लिए आवासीय भूखंड में बदलने की खातिर अपने पद का दुरुपयोग किया था.
इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 468 (जालसाजी) सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.
भूखंड खरीदने के लिए बादल ने किया पद का दुरुपयोग
ब्यूरो के अनुसार जांच के दौरान यह पाया गया कि बादल ने मॉडल टाउन चरण -1 बठिंडा में 1,560 वर्ग गज के दो भूखंड खरीदने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया, जिससे राज्य के खजाने को लाखों रुपये का नुकसान हुआ.