दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी के पक्ष में आये 4,600 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले के निष्पादन के संबंध में अपने बैंक खातों का विवरण होना चाहिए. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की एकल पीठ ने कहा कि डीएमआरसी के पास अपने बैंक खातों में 1642.69 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं और यदि दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) निगम के अपने ऋणों को अधिनिर्णय की सीमा तक लेने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना चाहता है तो अदालत उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है.
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न्यायमूर्ति कैत ने कहा कि अगर उसके पास एस्क्रो खाते में पैसा है तो कम से कम यह बैंकों के साथ पुनर्गठन आदि के लिए सौदेबाजी कर सकता है. मान लीजिए कि यह आपको कुल देनदारी देता है, उधारदाताओं को भुगतान करने के लिए, यह सौदेबाजी की शक्ति खो देगा. यह एक डिक्री धारक है, आप (डीएमआरसी) एक निर्णय देनदार हैं. यदि आपका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो कोई समस्या नहीं है. लेकिन जब वह इसे स्वीकार नहीं कर रहा है, तो यह अदालत आपको प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है.
न्यायमूर्ति कैत ने कहा कि डीएमआरसी की संपत्तियों को कुर्क करने की अनुमति नहीं है, लेकिन इसके बैंक खातों के संबंध में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. यहां, संपत्तियों को धारा 89 (मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव) अधिनियम, 2002) के अनुसार कुर्क नहीं किया जा सकता है. अदालत के पास यह विकल्प बचा है कि बैंक खाते में कितना पैसा बचा है. इसका ध्यान रखा जा सकता है.
अदालत ने आदेश दिया कि डीएमआरसी को दिल्ली या दिल्ली के बाहर बैंक खातों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है. हलफनामे में यह भी उल्लेख किया जाएगा कि किसी विशेष खाते में कितनी राशि पड़ी है.
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डीएएमईपीएल के वकील ने डीएमआरसी के हलफनामे पर भरोसा करते हुए कहा कि निगम के पास 17 दिसंबर को उसके बैंक खातों में 5800 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें 1642 करोड़ रुपये उसकी कमाई है और 2400 करोड़ रुपये से अधिक और 1700 करोड़ रुपये क्रमश: इसकी परियोजना आवंटन निधि और जमा निधि है. वह डीएएमईपीएल के पक्ष में आए 4,600 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले में अगले 48 घंटों में एक एस्क्रो खाते में 1,000 करोड़ रुपये जमा करेगी. वह डीएएमईपीएल को देय 4,600 करोड़ रुपये के भुगतान के एवज में उसपर बकाया कर्ज का भार उठाने के लिए भी तैयार है.
मध्यस्थता पंचाट ने डीएमआरसी को आदेश दिया था कि वह डीएएमईपीएल को 4,600 करोड़ रुपये का भुगतान करे. इस बारे में डीएमआरसी की तरफ से दायर तमाम याचिकाएं निरस्त हो चुकी हैं. उच्चतम न्यायालय ने भी गत 23 नवंबर को अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. मामले की अगली सुनवाई अब जनवरी में होगी.
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