Hemp Plant Fabrics: इको फ्रेंडली स्टार्टअप, भांग के पौधे से बने कपड़ों से हो जाएगा प्यार!

Eco-Friendly Hemp Plant Fabrics: भांग को आमतौर पर नशे के रूप में उपयोग में लिया जाता रहा है, लेकिन अब भांग के पौधे से बने कपड़े पारंपरिक परिधान तैयार किए जा रहे हैं. ईको फ्रेंडली इस परिधान को जोधपुर के दो युवाओं ने शुरू किया है. 

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भांग के पौधों से तैयार कपड़ों से तैयार किया गया परिधान

Eco Friendly Fabrics: कहते हैं शराब को भी एक सीमित मात्रा में सेवन किया जाए, तो उसका शरीर असर पॉजिटिव होता है. कुछ ऐसा प्रयोग नशे के रूप में उपयोग में लाए जाने वाले भांग के पौधे को लेकर हुआ है. जी हां, एक ईको फ्रेंडली स्टार्टअप ने भांग के पौधे से निर्मित कपड़ा बना रही है, जिससे निर्मित परिधानों को तैयार किया जा रहा है. आपको सुनने में अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह सही है जोधपुर के दो युवाओं ने इस नए स्टार्टअप के साथ इसकी शुरुआत की है.

भांग को आमतौर पर नशे के रूप में उपयोग में लिया जाता रहा है, लेकिन अब भांग के पौधे से बने कपड़े पारंपरिक परिधान तैयार किए जा रहे हैं. ईको फ्रेंडली इस परिधान को जोधपुर के दो युवाओं ने शुरू किया है. 

ईको फ्रेंडली भांग के पौधों से तैयार किए गए पारंपरिक परिधान

जोधपुर के दो युवा क्रमशः राहुल व सुनील सुथार ने इस नए स्टार्ट अप को पर्यावरण की दृष्टि से इसकी शुरुआत की है. भांग के पौथे से निर्मित यह कपड़ा ना सिर्फ इको फ्रेंडली है, बल्कि इसकी कहीं विशेषताएं भी है, जहां हर मौसम चाहे सर्दी हो या गर्मी, यह टेंपरेचर के अनुसार किसकी तासीर भी बदलती है.

इस स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले सुनील ने बताया कि वर्तमान में चीन भी इस कपड़े का प्रयोग करती है, लेकिन भारत में इसके प्रति जागरूकता कम है. उम्मीद है कि आगे यह स्टार्टअप नए आयाम पर पहुंचेगी.

NDTV राजस्थान से चर्चा करते हुए सुनील सुथार ने बताया कि भांग से निर्मित कपड़ों के धागे उसके पेड़ के तने से रेशे निकाले जाते हैं, जिससे एक विशेष धागा तैयार किया जाता हैं. परिष्कृत धागे से कपड़ा और फैब्रिक तैयार किए जाते हैं. सुनील सुथार ने बताया कि अगर इस कपड़े की कास्ट की बात करें तो इसकी कीमत भी सामान्य है.

भांग के पौधे के तने से रेशे निकालकर बनते हैं ईको फ्रेडली धागे

100 प्रतिशत नेचुरल भांग के पौधे से तैयार कपड़ों की कीमत 800 रुपए मीटर से शुरू होकर 2000 मीटर तक है, जो.कॉटन कपड़ों से कहीं ज्यादा यह आरामदेह है.

एक कॉटन के शर्ट को बनाने के लिए 2600 लीटर पानी का उपयोग होता है, लेकिन भांग के रेशे से बने कपड़ों को तैयार करने के लिए ना के बराबर पानी की जरूरत होती है. यही नहीं, इसमें फर्टिलाइजर का भी इसमें उपयोग नहीं होता है. यही वजह है कि इसकी ओर लोग आकर्षित हो रहे हैं. 

भांग के पौधों से तैयार कपड़ों की बढ़ रही है मांग

पॉलिस्टर कपड़ों को डीकंपोज होने में जहां कई साल लगते हैं, लेकिन भांग के रेशे से निर्मित कपड़े नेचुरल अल्टरनेटिव है, जो बहुत जल्दी ही बायोडिग्रेडेट हो जाता है.

भांग के पौधे से निर्मित कपड़ों की डिमांड अभी यह धीरे-धीरे बढ़ रही है, क्योंकि लोगों में अभी इसके प्रति जागरूकता कम है, लेकिन फिर भी लोग पर्यावरण की दृष्टि से प्रेरित होकर इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. ज्यादातर लोग कौतुहल वश भांग के पेड़ से बने कपड़ों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

उत्तराखंड सरकार ने दे रखी है भांग उत्पादन की अनुमति

भांग उत्पादन को लेकर उत्तराखंड राज्य ने प्रदेश में इसकी खेती की अनुमति दे रखी है, जहां भांग का अधिक उत्पादन होने से अन्य प्रदेशों में भी भाग को सप्लाई की जाती है. उत्तराखंड राज्य में कई एनजीओ भांग के पेड़ के तने से निकलने वाले रेशे से तैयार धागे से कपड़े का स्टार्टअप चला रहे हैं, जिसने एक नए रोजगार का अवसर पैदा किया है.

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