दिल्ली में झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मुलाकात के साथ ही झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बुधवार को नए झारखंड भवन का उद्घाटन करने दिल्ली पहुंचे हेमंत सोरेन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद ने एक साथ चुनाव लड़ा था. गठबंधन को पिछले चुनाव की तुलना में अच्छी सफलता मिली थी.
पिछले हफ्ते पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्य रहे चंपई सोरेन के बीजेपी जाने से झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. चंपई सोरेन झारखंड के सरायकेला इलाके से आते हैं जहां 14 विधानसभा की सीटें हैं. इस क्षेत्र में बीजेपी का आज एक भी विधायक नहीं है. जबकि कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13 विधायक हैं. बीजेपी इस इलाके में चंपई सोरेन को चुनाव मैदान में उतारकर इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है. हालांकि कांग्रेस चंपई सोरेन को कोई "चुनावी फैक्टर" नहीं मानती.
चंपई सोरेन फैक्टर नहीं: राजेश ठाकुर
झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, राजेश ठाकुर ने एनडीटीवी से कहा, "चंपई सोरेन झारखंड की राजनीति में अब कोई फैक्टर नहीं हैं. एक भी विधायक उनके साथ नहीं गया है जो दिखाता है कि चम्पई सोरेन अकेले पड़ गए हैं. बीजेपी के खेमे में पूर्व मुख्यमंत्रियों की कमी नहीं है. रघुबर दास झारखण्ड की राजनीति में वापस आने के लिए तत्पर हैं लेकिन उन्हें गवर्नर बनाकर रखा गया है. इसका झारखंड की राजनीति पर असर नहीं पड़ेगा".
जब एनडीटीवी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से चंपई सोरेन के बारे में पूछा तो वह सीधे कुछ भी बोलने से बचते दिखे. हेमंत सोरेन ने एनडीटीवी से कहा, "चंपई सोरेन बीजेपी में गए हैं. मैं चाहूंगा इस विषय पर जो भी सवाल है वह बीजेपी के लोगों से पूछा जाए. जाहिर है, झारखंड में चुनाव करीब आने से राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही है और चुनावी राजनीति दिलचस्प होती जा रही है.
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