झारखंड में 'कल्पना' का चला जादू, ‘मंईयां’ के आशीर्वाद से हेमंत हुए मालामाल

हेमंत सोरेन की दोबारा सत्ता में वापसी की इस पटकथा में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन बेहद अहम किरदार साबित हुईं. उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन के स्टार प्रचारक के तौर पर सबसे अधिक करीब 105 चुनावी सभाएं कीं. लोगों से सीधे संवाद करने की उनकी अदा खूब पसंद की गई.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
रांची:

‘एक ही नारा, हेमंत दोबारा'- झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेएमएम की ओर से दिया गया यह स्लोगन अब सच के तौर पर साकार हो गया है. हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले चार दलों के गठबंधन ने झारखंड की सत्ता-सियासत में दो ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया है. पहला यह कि झारखंड के 24 वर्षों के इतिहास में इसके पहले किसी पार्टी या गठबंधन की सरकार दूसरे टर्म में रिपीट नहीं हुई थी. दूसरा रिकॉर्ड यह कि किसी गठबंधन ने आज तक एक साथ 50 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज नहीं की थी.

हेमंत ने खेला दांव

शनिवार शाम पांच बजे तक चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, जेएमएम-कांग्रेस-राजद-सीपीआई एमएल का गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की करीब 55 सीटों पर जीत दर्ज करने के करीब था. इस रिकॉर्ड जीत में हेमंत सोरेन सरकार की ‘मंईयां सम्मान योजना' को सबसे बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है. यह योजना अगस्त में लॉन्च हुई थी. इसके तहत 18 से 50 साल की उम्र तक की 57 लाख महिलाओं के खाते में हर महीने एक-एक हजार रुपये की राशि भेजी जा रही है. योजना जबरदस्त लोकप्रिय हुई और झारखंड की ‘मंईयां' (बहनों) ने हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार को इस एक हजार की राशि के बदले में वोटों से मालामाल कर दिया.

महिलाओं ने निभाई भूमिका

राज्य की 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा संख्या में मतदान किया. इस चुनाव में कुल 1 करोड़ 76 लाख 81 हजार सात (1,76,81,007) लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इनमें महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में 5 लाख 51 हजार 797 (5,51,797) ज्यादा रही. महिला वोटरों की यह तादाद इस बात की तस्दीक करती है कि ‘मंईयां सम्मान योजना' ने इस चुनाव में कैसा जादू किया है.

जनता के बीच हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन को भी इस ‘जादू' का अहसास था. 20 नवंबर को आखिरी दौर के मतदान के बाद सोशल मीडिया एक्स पर ‘मंईयां' के प्रति विशेष तौर पर आभार जताया था. उन्होंने लिखा था, ‘बुजुर्ग, युवा, श्रमिक, महिला, किसान- सभी ने उत्साह और उमंग के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व में अपना अभूतपूर्व आशीर्वाद दिया. सभी ने, खासकर, राज्य की आधी आबादी- हमारी मंईयां ने बढ़-चढ़कर अपने हक-अधिकार, मान और सम्मान के लिए ऐतिहासिक रूप से झामुमो और इंडिया गठबंधन को अपना असीम आशीर्वाद दिया.‘

इस तरह से वोटर्स को लुभाया

इसके अलावा करीब 37 लाख बिजली के बकायेदारों का बिल माफ करने और किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफी जैसे निर्णयों का भी खासा असर रहा. इन निर्णयों से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए थे और इसी का असर रहा कि गांवों में इस बार अब तक की सर्वाधिक वोटिंग का रिकॉर्ड बना.

हेमंत सोरेन की दोबारा सत्ता में वापसी की इस पटकथा में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन बेहद अहम किरदार साबित हुईं. उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन के स्टार प्रचारक के तौर पर सबसे अधिक करीब 105 चुनावी सभाएं कीं. लोगों से सीधे संवाद करने की उनकी अदा खूब पसंद की गई. वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की पहली नेता हैं, जिनकी शहरी इलाकों में भी जबरदस्त अपील रही. अन्यथा, झामुमो को इसके पहले गांवों की पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है.

Advertisement

कल्पना ने इसी साल जनवरी में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद घर की देहरी लांघ कर राजनीति में कदम रखा था और देखते-देखते वह धूमकेतु की तरह छा गईं. लोग उन्हें राजनीति में ‘विपत्ति की उत्पत्ति' मानते हैं. हेमंत सोरेन के जेल जाने से आदिवासियों में जो स्वाभाविक तौर पर गुस्सा उभरा था, उसका असर लोकसभा चुनाव के बाद इस चुनाव में भी बरकरार रहा. भारतीय जनता पार्टी से जो आदिवासियों का जो तबका छिटका था, उसे समेटने में वह नाकाम रही.

इस चुनाव में भाजपा ने झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सबसे प्रमुखता से उठाया, लेकिन उसे आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर जैसी शिकस्त मिली है, उससे साफ है कि यह मुद्दा जमीनी स्तर पर कारगर नहीं साबित हो पाया.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में भाजपा की ओर से चुनावी अभियान की पूरी कमान असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और शिवराज सिंह चौहान जैसे प्रदेश के बाहर के नेताओं के हाथ में सौंपा जाना भी पार्टी की बड़ी रणनीतिक चूक रही. झारखंड के लोगों ने पूरी चुनावी लड़ाई को ‘हेमंत बनाम हिमंता' के रूप में देखा. उन्होंने हिमंता बिस्वा सरमा को बाहरी लीडर करार देते हुए एक तरह से नकार दिया.

Advertisement
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Fatehpur Maqbara Controversy में नया मोड़, हिंदू पक्ष के Satish Chandra ने किया मालिकाना हक का दावा