महाकुंभ भगदड़ मामले में दाखिल जनहित याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई

पिछली सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कोर्ट में कहा था कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों (30) की संख्या पर विवाद किया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
महाकुंभ भगदड़ पर कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली:

प्रयागराज में महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुई भगदड़ के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच मामले में सुनवाई कर रही है. 19 जनवरी को हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि हताहतों की संख्या आयोग की जांच में क्यों न शामिल हो. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा था कि क्या न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है.

याचिका में की गई ये मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका में लापता लोगों का पता लगाए जाने और भगदड़ में पीड़ितों की सही गिनती किए जाने समेत कई मांगे की गई है. जनहित याचिका में भगदड़ की जांच न्यायिक निगरानी में कराने और घटना के बाद लापता लोगों का सही ब्योरा देने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि ज्यूडिशियल कमीशन की जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें हताहतों की संख्या की पहचान करने और भगदड़ से संबंधित अन्य शिकायतों पर गौर करने को शामिल किया जा सकता है या नहीं.

मौत के आंकड़े पर विवाद

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस संदर्भ में 24 फरवरी तक जानकारी मांगी थी जिस  पर आज सुनवाई होनी है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि अब तक आयोग के कार्यक्षेत्र में भगदड़ के अन्य प्रासंगिक विवरणों की जांच शामिल नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कोर्ट में कहा था कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों (30) की संख्या पर विवाद किया है. एडवोकेट सौरभ पांडेय ने विभिन्न समाचार पत्रों और पीयूसीएल की एक प्रेस विज्ञप्ति का भी हवाला देते हुए कहा था कि मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

Advertisement

मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे लोग

मृतकों को बिना पोस्टमार्टम 15,000 रुपये देकर यह आश्वासन दिया गया कि उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाएगा. अब लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है जबकि राज्य का कर्तव्य लोगों की मदद करना है. अधिवक्ता ने बताया कि उनके पास एम्बुलेंस चलाने वाले लोगों के वीडियो है जिन्होंने बताया है कि वे कितने लोगों को अस्पताल ले गए थे. उन्होंने कहा कि आधिकारिक बयानों में सेक्टर 21 और महाकुम्भ मेला के आसपास के अन्य इलाकों में हुई भगदड़ का उल्लेख नहीं किया गया है.

Advertisement

इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनहित याचिका में की गई सभी प्रार्थनाओं पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग विचार कर रहा है. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि आयोग के दायरे में यह शामिल नहीं है कि भगदड़ के दौरान क्या हुआ था. इसे देखते हुए जांच के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता प्रतीत होती है. राज्य सरकार को यह संदेश देने को कहा गया है कि न्यायिक आयोग के संबंध में सामान्य अधिसूचना जारी न की जाए और इसकी बजाय संदर्भ की शर्तें व्यापक रूप से निर्धारित की जाए.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Rajasthan News: जयपुर में विधायकों के निलंबन को लेकर कांग्रेस का हल्लाबोल | BREAKING NEWS