दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप और इसकी मूल कंपनी फेसबुक इंक (अब मेटा) की उस याचिका को 14 अगस्त को सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध किया जिसमें सोशल मीडिया मंचों के लिए 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती दी गयी है. नियमों के तहत इस मैसेजिंग ऐप को चैट का पता लगाने और सूचना के मूल स्रोत की पहचान के प्रावधान करने को कहा गया है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले पर विभिन्न पक्षों को दलीलें रखनी होंगी. खंडपीठ ने यह भी पूछा कि क्या इस मुद्दे पर किसी अन्य देश में विचार किया गया है? व्हाट्सऐप की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘‘दुनिया में कहीं और ऐसा कोई नियम नहीं है. ब्राजील में भी नहीं.'
उन्होंने कहा कि यह आवश्यकता उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता के खिलाफ है और यह नियम बिना किसी परामर्श के लागू किया गया है. पीठ ने कहा कि गोपनीयता के अधिकार पूर्ण नहीं हैं और 'कहीं न कहीं संतुलन बनाना होगा.' केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह नियम तब महत्वपूर्ण है जब सांप्रदायिक हिंसा जैसे मामलों में आपत्तिजनक सामग्री विभिन्न मंचों पर फैलाई जाती है.
सरकार द्वारा 25 फरवरी, 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की घोषणा की गई थी और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों को नवीनतम मानदंडों का पालन करने के लिए कहा गया था. पीठ ने आदेश दिया कि मामले को 14 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, ताकि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 2021 के आईटी नियमों के कई पहलुओं को चुनौती देने वाली अन्य सभी याचिकाओं को उसके पास स्थानांतरित करने का इंतजार किया जा सके.
व्हाट्सऐप के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि संबंधित नियम तैयार होने के बाद सभी सोशल मीडिया मंचों को नए डेटा संरक्षण कानून का पालन करना होगा, जो डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण और साझे से संबंधित है. व्हाट्सऐप ने उच्च न्यायालय से मध्यस्थ नियमावली के नियम 4(2) को असंवैधानिक, आईटी अधिनियम के तहत असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का आग्रह किया है और मांग की है कि नियम 4(2) के किसी भी कथित गैर-अनुपालन के लिए उस पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं थोपा जाए.
उच्चतम न्यायालय ने 22 मार्च को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को चुनौती देने वाली देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया. इस मुद्दे पर कर्नाटक, मद्रास, कलकत्ता, केरल और बम्बई सहित देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष कई याचिकाएं लंबित थीं.
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