बाबा भोले के आश्रम पर वीआईपी लोगों का लगता था मेला, ज्यादातर महिला ही होती थी सेवादार
हाथरस में जिस 'भोले बाबा' के कार्यक्रम में 121 लोगों ने भगदड़ में जान गंवा दी, उस भोले बाबा के देश में कई आश्रम हैं. स्वयंभू बाबा भोले नाथ उर्फ़ नारायण हरि साकार उर्फ़ सूरजपाल का मैनपुरी, कानपुर, नोएडा और ग्वालियर में आश्रम हैं. इन आश्रमों में रहने वाले बाबा को इंसान नहीं बल्कि परमात्मा मानते हैं.
- 'भोले बाबा' को जानने वाले एक व्यक्ति के अनुसार उनकी लंबाई लगभग 5 फीट 7 इंच है. वो स्वच्छता का काफी ध्यान रखते हैं. 12वीं तक पढ़े भोले बोला अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं. उन्हें कारों और परफ्यूम के शौक है.
- भोले बाबा तक पहुंचना आसान नहीं है. वो किसी अनुयायी को खुद को छूने तक नहीं देते थे. हमेशा तीन स्तरों के अंगरक्षकों से घिरे होते थे, जो कि - गुलाबी, भूरे और काले रंग के कपड़े में होते थे.
- ग्वालियर में भी बाबा सत्संग करते थे. बाबा ने यहां तिघरा रोड पर एक आलीशान आश्रम बना रखा है. पुलिस को ग्रामीणों ने बताया कि बाबा यहां आकर अक्सर अपना सत्संग किया करते थे. जिसमें कई भक्त आते थे. लेकिन स्वामी हरि को किसी पर कोई विश्वास नहीं था. इसलिए वे अपनी सिक्युरिटी अपने ही सेवादारों से कराते थे, जो उनके साथ यूपी से आते थे. जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी होती हैं. बाबा के साथ यूपी से ही गाड़ियों का काफिला आता था.
- नारायणी सेना, गरुड़ योद्धा और हरि वाहक चौबीसों घंटे उनकी रक्षा करते थे. गरुड़ योद्धा काले कपड़े पहनते थे, हरि वाहक भूरे रंग की टोपी पहनते थे और नारायणी सेना के लोग गुलाबी कपड़ों में होते थे.
- भोले बाबा की दलितों में गहरी पैठ थी. उनके अधिकतर भाषण सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के इर्द-गिर्द घूमते थे. SC/ST और OBC वर्ग के अलावा मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं.
- बाबा का असल नाम सूरज पाल सिंह था, वो एक किसानी हुआ करते थे. लेकिन बाद में पुलिस में भर्ती हो गए. उत्तर प्रदेश पुलिस में एक हेड कांस्टेबल के तौर पर काम करते थे. साल 2000 में उन्हें हेड कांस्टेबल पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. हालांकि कहा जाता है कि हेड कॉन्सस्टेबल की नौकरी के दौरान इटावा में बाबा पर यौन शोषण का मुकदमा दर्ज हुआ था. जिसके बाद उन्हें पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया था और वो जेल भी भी रहे थे. जेल से छूटने के बाद उन्होंने प्रवचन देने का काम शुरू कर दिया.
- सत्संग के जरिए अपनी पैठ बनाना शुरू की. TOI में छपी खबर के अनुसार साल 2007 में मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी के सत्ता में आने के बाद ही भोले बाबा की ताकत बढ़ी थी. कई वरिष्ठ नेता सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके साथ मंच साझा करते थे.
- भोले बाबा का आठ साल तक गार्ड रहे एक युवक ने बताया कि मैं आठ साल सेवादार था. लेकिन सेवा के बदले लाठी-डंडे से मारते थे. बाबा अपने एजेंटों के जरिए पैसे लेते थे.
- बाबा साकार हरि का आश्रम कानपुर के बिधनु इलाक़े के करसूई गांव में बना है. आश्रम को लेकर कारसुई गांव के लोग ख़ासे नाराज़ रहते हैं. ग्रामीणों के अनुसार बाबा के आश्रम में ग़लत काम होते हैं. गलत-गलत लोग आते हैं.
- एक शख़्स ने दावा किया कि कुछ महीने पहले एक लड़की आश्रम से गायब हो गई थी. लोगों का कहना है कि जब आश्रम बन रहा था तब कहा गया कि गांव की सड़क और लाइट्स बन जायेंगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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