बाबा की फरारी की कहानी : हादसे के बाद 4 घंटे में 4 लोगों से की बात, फिर बंद किया फोन

हादसे के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया. इसमें लिखा गया- "समागम से मेरे निकलने के बाद हादसा हुआ. असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है. इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा. घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं."

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सूरजपाल जाटव ऊर्फ बाबा पहले यूपी पुलिस में थे. प्रवचन देकर उन्होंने लाखों भक्त बना लिए.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 जानें जा चुकी हैं. हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा में रातभर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ. सीएम योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल जाकर घायलों का हाल-चाल लिया है. सीएम ने हादसे की जांच के लिए SIT बना दी है. हाईकोर्ट के रिटायर जज, पुलिस के सीनियर रिटायर ऑफिसर की टीम भी मामले की जांच करेगी. दोषियों के लिए सख्त से सख्त सजा की बात कही गई है. FIR भी दर्ज हो चुकी है. लेकिन उसमें बाबा का नाम ही नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, हाथरस में सत्संग के बाद जब भीड़ बाबा के पैरों की धूल उठाने के लिए अनियंत्रित हो रही थी. भगदड़ में कुचलने से लोगों की मौत हो रही थी, उस वक्त बाबा अपने भक्तों को छोड़कर मैनपुरी में अपने दूसरे आश्रम भाग गए थे. हादसे के बाद से उनका फोन नंबर भी बंद आ रहा है. आइए जानते हैं सत्संग में भगदड़ मचने के बाद भोले बाबा के गायब होने की पूरी टाइमलाइन:-

बाबा का प्रवचन सुनने के लिए पहुंचे थे ढाई लाख लोग
उत्तर प्रदेश के हाथरस से 47 किलोमीटर दूर सिंकदराराऊ तहसील के फुलराई मुगलगढ़ी गांव में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के प्रवचन का कार्यक्रम था. सत्संग के लिए मंगलवार सुबह 10 बजे से पंडाल में भीड़ जुटनी शुरू हुई. आयोजकों ने 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी. देखते-देखते बाबा का प्रवचन सुनने के लिए ढाई लाख से ज्यादा लोग जुट गए. पंडाल के अंदर का सारा इंतजाम बाबा के सेवादार देख रहे थे. पंडाल के बाहर पुलिस भी तैनात थी.

बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए मची होड़
रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहर करीब 12:30 बजे भोले बाबा पंडाल में आए. पंडाल में मौजूद हर शख्स उन्हें देखने, उनकी एक झलक पाने के लिए बेचैन दिख रहा था. करीब 1 घंटे तक बाबा ने प्रवचन दिया. मानवता का पाठ पढ़ाया. दोपहर करीब 1:40 बजे भोले बाबा मौके से निकल गए. उन्हें नेशनल हाईवे 91 पर एटा की तरफ जाने लगे. इस रूट पर बाबा के भक्त भी पहुंच गए. वो बाबा के पैरों की धूल और पैरों के निशान को माथे से लगाने की कोशिश कर रहे थे. जमीन पर झुककर बाबा के पैरों की धूल माथे पर लेने में महिलाएं आगे थीं. इस दौरान भीड़ को रोकने के लिए सेवादार आ गए. 

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सेवादारों के साथ अनुयायियों की हुई धक्का-मुक्की
बाबा के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड और सेवादारों के साथ अनुयायियों की धक्का-मुक्की शुरू हो गई. इस दौरान सेवादारों ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए डंडे चलाए. कहा जा रहा है कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया था. इससे भीड़ अनियंत्रित हो गई. लोग बचने और बचाने के लिए एक-दूसरे पर जा गिरे. 

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खुले खेत की तरफ दौड़ पड़े लोग
भगदड़ के दौरान लोग खुद को बचाने के लिए सत्संग स्थल के सामने खुले खेत की तरफ दौड़ पड़े. उस जगह पर फिसलन भी थी. इससे कई लोग फिसल गए और गिर पड़े. इस दौरान भीड़ उनके ऊपर से गुजरती गई. कुचले जाने से 121 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती हैं. इन सबके बीच न तो बाबा रुके और न उनके साथ जा रहे कमिटी और सेवादार.

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आयोजक देव प्रकाश ने बाबा को दी थी भगदड़ की जानकारी
कॉल डिटेल चेक करने पर पुलिस को पता चला कि भोले बाबा को मंगलवार दोपहर 2:48 बजे आयोजक देव प्रकाश मधुकर  का फोन गया. इसमें शायद उन्हें भगदड़ की जानकारी दी गई थी. बाबा के फोन पर 70XXXXXX84 नंबर से कॉल गया था. इस पर 2 मिनट 17 सेकंड तक बात हुई थी. इसके बाद बाबा की फोन लोकेशन दोपहर 3 बजे से शाम 4:35 तक मैनपुरी के आश्रम में मिली. उस दौरान 3 नंबरों पर बाबा ने बात की.

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इन 3 नंबरों पर बाबा की हुई बात
पहला नंबर 78XXXXXX40 महेश चंद्र का था. इस नंबर से बाबा की 3 मिनट तक बात हुई. दूसरा नंबर 88XXXXXX68 संजू यादव का था, जिसपर सिर्फ 40 सेकंड बात हुई. तीसरा नंबर 7017802984 रंजना का था. इसपर बाबा ने 11 मिनट 33 सेकंड तक बात की है.

शाम 4:35 के बाद बंद हो गया भोले बाबा का मोबाइल
खास बात ये है कि रंजना देव प्रकाश आयोजक की पत्नी है, जिसके फोन से शायद देव प्रकाश ने बातचीत की थी. अन्य दो नंबर भी आयोजक समिति के ही हैं, जिनमे महेश चंद्र बाबा का खास बताया जाता है. इसके बाद शाम 4:35 के बाद भोले बाबा का मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ हो गया. अभी तक फोन बंद है.

बाबा की तलाश में कुल 8 जगहों पर दी गई दबिश
पुलिस ने बाबा की तलाश में कुल 8 जगहों पर दबिश दी. अलग से 40 पुलिसकर्मियों की एक टीम भी बनाई गई है. आरोपियों को ढूंढने के लिए SIT भी लगी है.

साजिश के शक में अपनों और गांव से बना ली दूरी
रिपोर्ट के मुताबिक, भोले बाबा ने अपने खिलाफ किसी साजिश के शक में करीब 8 साल पहले गांव जाना भी छोड़ दिया था.
किसी करीबी के साज़िश करने के डर से उन्होंने अपनों से दूरी बना ली थी. मैनपुरी के एक आश्रम में बाबा का कमरा एक कोने में है. उस कमरे में सिर्फ 7 चुनिंदा लोगों को जाने की परमिशन है. इनमें कुछ महिलाएं और सेवादार शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, भोले बाबा रात में 8 बजे के बाद किसी से भी नहीं मिलते हैं.

सुरक्षाकर्मियों को दिया गया था कोड वर्ड
बाबा की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को भी एक कोड वर्ड दिया गया है. पिंक ड्रेस वाले सेवादार 'नारायणी सेना' के नाम से जानी जाती है. बाबा के काफिले के साथ चलने वाले निजी सुरक्षाकर्मियों (ब्लैक कमांडो) को 'गरुण योद्धा' कहा जाता था.
सिर पर टोपी लगाने वाले और ब्राउन ड्रेस पहनने वाले सेवादारों को 'हरि वाहक' नाम दिया गया था. बाबा के ब्लैक कमांडो यानी गरुण योद्धा 20-20 की टुकड़ी में होते थे. पिंक ड्रेस वाली 'नारायणी सेना' 50 -50 की टुकड़ी में होते थे. 'हरि वाहक' भी 25-25 की टुकड़ी मे होते थे.

हादसे के 24 घंटे बाद आया भोले बाबा का बयान
हादसे के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया. इसमें लिखा गया- "समागम से मेरे निकलने के बाद हादसा हुआ. असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है. इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा. घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं."

अब तक कितनी मौतें?
2 जुलाई की रात तक हाथरस में 89 और एटा में 27 लोगों की मौत की खबर थी. करीब 50 से ज्यादा लोग जख्मी बताए जा रहे थे. 3 जुलाई तक हाथरस हादसे में कुल मौतों की संख्या 121 हो चुकी है.

हाथरस में क्या हुई लापरवाही?
भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब सभी लोग बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए दौड़ने लगे, तब उन्हें कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था. उसी समय धक्का-मुक्की हुई. सेवादार आगे आए, लेकिन उन्होंने डंडे चला दिए. इससे भगदड़ मच गई. ऐसे कार्यक्रमों में जहां क्षमता से ज्यादा भीड़ हो जाए, तब आयोजन स्थल में अलग-अलग ब्लॉक बनाकर भीड़ को बांटना चाहिए था. सभी ब्लॉक के अलग-अलग एग्जिट पॉइंट होने चाहिए थे. लेकिन बाबा के सत्संग में ऐसा नहीं हुआ था. साथ ही इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए एक सर्विलांस सिस्टम बनाना चाहिए था, जोकि नहीं बनाया गया था. 

कार्यक्रम में वॉलंटियर्स की बड़ी संख्या होनी चाहिए थी. लेकिन इसका इंतजाम भी नहीं किया गया था. संत्सग जैसे कार्यक्रमों में भीड़ को देखते हुए इमरजेंसी मेडिकल हेल्प और एंबुलेंस का इंतजाम किया जाता है. लेकिन बाबा के सत्संग में ऐसा नहीं किया गया था.

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