Hathras Hadsa Live : सफेद कपड़ों में ही क्यों दिखते हैं भोले बाबा? गेरुआ वस्त्र क्यों नहीं पहनते?

नारायण साकार हरि आम  बाबाओं की तरफ गेरुआ कपड़े नहीं पहनते. वह अक्सर सफेद सूट, टाई और जूते में नजर आते हैं तो कई बार कुर्ता-पाजामा पहने दिखते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरि के सत्संग में भगदड़ मच गई,कई लोगों की मौत की खबर है, मरने वालों में ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं. पुलिस के मुताबिक  हाथरस के फुलरई गांव में नारायण साकार हरि का सत्संग चल रहा था. सत्संग वाली जगह छोटी थी और भीड़ बहुत ज्यादा थी.

नारायण साकार हरि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं. उनकी शुरुआत पढ़ाई लिखाई यहीं हुई. कॉलेज के बाद वो आईबी में नौकरी करने लगे लेकिन नौकरी करते करते  आध्यात्म की तरफ मुड़ गए. आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद अपना नाम बदल लिया और नारायण साकार हरि रख लिया.

नारायण साकार हरि आम  बाबाओं की तरफ गेरुआ कपड़े नहीं पहनते. वह अक्सर सफेद सूट, टाई और जूते में नजर आते हैं तो कई बार कुर्ता-पाजामा पहने दिखते हैं. साकार हरि अपने समागम कहते आ रहे हैं कि नौकरी के दिनों में भी उनका झुकाव आध्यात्म की तरफ था.

बाबा दावा करते हैं कि 1990 के दशक में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और आध्यात्म में आ गए. प्रवचन देने लगे. वह बताते हैं कि उनके समागम में जो भी दान, दक्षिणा, चढावा वगैरह आता है, उसे अपने पास नहीं रखते बल्कि भक्तों के उपर खर्च कर देते हैं.

नारायण साकार हरि खुद को हरि का शिष्य कहते हैं. अक्सर अपने प्रवचन में कहते हैं कि साकार हरि पूरे ब्रहमांड के मालिक हैं. यहां तक कि ब्रहमा, विष्णु और शंकर ने भी साकार हरि को ही गुरू माना है. साकार हरि की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में अच्छी पैठ है. यहां अक्सर उनके प्रवचन और सत्संग होते रहे हैं.

Featured Video Of The Day
Bihar News: Patna में जमा हैं देश भर के कारोबारी और निवेशक | Metro Nation @10