एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को आरोप लगाया कि हरिद्वार में हाल में संपन्न ‘धर्म संसद' में हुए घृणा भाषण उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के सहयोग से हुए. उन्होंने मांग की कि सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करना पर्याप्त नहीं है, दोषियों की गिरफ्तारी भी होनी चाहिए. ओवैसी ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘इस प्रकार की धर्म संसद उत्तराखंड में भाजपा सरकार के आशीर्वाद और पूर्ण सहयोग से हुई है. ऐसी बातें उनके समर्थन से ही कही गई हैं. सिर्फ प्राथमिकी दर्ज होना पर्याप्त नहीं है. उनकी गिरफ्तारी भी होनी चाहिए.''
ओवैसी ने दावा किया कि संबंधित संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार के ‘धर्म संसद' में ‘‘देश के मुसलमानों के संहार का आह्वान किया गया.''
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की ‘चुप्पी' के संबंध में सवाल करने पर ओवैसी ने कहा कि संविधान और विधि के शासन में विश्वास रखने वाली देश की सभी राजनीतिक पार्टियां, जो अराजकता में विश्वास नहीं करती हैं ‘‘अपनी चुप्पी जरूर तोड़ेंगी.''
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि अगर कांग्रेस और सपा अब इन मुद्दों पर नहीं बोलेंगी तो कब बोलेंगी, क्योंकि इन घृणा भाषणों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी नाम लिया गया था. ओवैसी ने कहा, ‘‘उनकी चुप्पी उनका पोल खोल रही है और हमें बता रही है कि वे इसलिए चुप हैं क्योंकि उन्हें अपने दूसरे वोट नहीं मिलने का डर है.''
हरिद्वार के धर्म संसद में हुए कथित घृणा भाषणों के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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