हरियाणा सरकार ने गैरकानूनी धर्मांतरण के खिलाफ बिल को दी मंजूरी, जानिए क्या होगा इस कानून में

इस विधेयक में धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रस्ताव है जो गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या शादी द्वारा या शादी के लिए प्रभावित करता है जो इसे अपराध बनाता है. इसलिए मसौदा विधेयक को मंजूरी दी गई है.

Advertisement
Read Time: 25 mins
H
चंडीगढ़:

हरियाणा (Haryana Cabinet) में मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 (Prevention of Unlawful Conversions Bill 2022) के मसौदे को मंजूरी दे दी है. इसे अब विधेयक के तौर पर विधानसभा के समक्ष पेश किया जाएगा.हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के मसौदे को स्वीकृति प्रदान की गई. इस विधेयक को अब विधानसभा के समक्ष पेश किया जाएगा.इसलिए, इस विधेयक में धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रस्ताव है जो गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या शादी द्वारा या शादी के लिए प्रभावित करता है जो इसे अपराध बनाता है. इसलिए मसौदा विधेयक को मंजूरी दी गई है.

भारत के संविधान के अनुच्छेद 255, 26, 27 और 28 के तहत धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है जो भारत के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है. इस अधिकार का उद्देश्य भारत में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को कायम रखना है. संविधान के अनुसार, राज्य का कोई धर्म नहीं है और राज्य के सामने सभी धर्म समान हैं और किसी भी धर्म को दूसरे पर वरीयता नहीं दी जाएगी. नागरिक अपनी पसंद के किसी भी धर्म को अपनाने और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र हैं. संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है. हालाँकि, अंत:करण और धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार का विस्तार धर्मांतरण के सामूहिक अधिकार का अर्थ लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है; क्योंकि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति और जिस व्यक्ति ने धर्मांतरण की मांग की है, का समान रूप से है .

फिर भी, सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं. जाहिर है, हमारे जैसे बहु-धार्मिक समाज में इस तरह की घटनाओं पर गरमागरम बहस हुई है. अन्य धर्मों के कमजोर वर्गों को परिवर्तित करने के लिए एक छिपे हुए एजेंडे के साथ छद्म सामाजिक संगठनों की उपस्थिति है. ऐसे रुख रहे हैं जब भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर या अनुचित प्रभाव में धर्मांतरण कर दिया गया है. कुछ को दूसरे धर्मों में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया है.

Advertisement

हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं कि दूसरे धर्मों के लोगों को धर्म परिवर्तन करवाकर अपने धर्म की ताकत बढ़ाने के एजेंडे के साथ, लोग दूसरे धर्म के व्यक्तियों से या तो अपने ही धर्म को गलत तरीके से पेश करके या छुपाकर शादी करते हैं और शादी करने के बाद वे दूसरे व्यक्ति को अपना धर्म अपनाने के लिए जबरदस्ती करते हैं. हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भी ऐसे मामलों का न्यायिक नोटिस लिया था. इस तरह की घटनाएं न केवल धर्मांतरित व्यक्तियों की धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं, बल्कि हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ भी हैं.

Advertisement

इसलिए, बिल ऐसे धर्मांतरण को रोकने का प्रयास करता है जो बल प्रयोग, धमकी, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से शादी द्वारा या शादी के लिए प्रभावित हुए हैं. अवयस्क, महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संबंध में ऐसे धर्मांतरण के लिए अधिक दंड का प्रावधान किया गया है.

Advertisement

बशर्ते कि एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाला प्रत्येक व्यक्ति निर्धारित प्राधिकारी को एक घोषणा प्रस्तुत करेगा कि धर्म परिवर्तन गलत बयानी, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या विवाह द्वारा या विवाह  के लिए नहीं था और ऐसा प्राधिकारी ऐसे मामलों में जांच करेगा. उन विवाहों को अमान्य घोषित करने का प्रावधान करेगा जो धर्म को छुपाकर अनुष्ठित किए गए थे. विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Ahmedabad: Adani University का First Convocation, MBA के 3 छात्र Gold, 1 Silver Medal से सम्मानित