हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: BJP को क्यों याद आया मिर्चपुर और गोहाना, किधर जाएगा दलित वोट

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मिर्चपुर और गोहाना कांड का मुद्दा उठाया. दलितों को रिझाने और कांग्रेस पर हमला करने के लिए बीजेपी ने इन दोनों कांड की याद दिलाई. ये दोनों कांड दलित उत्पीड़न की घटनाएं थीं. इस दौरान हरियाणा में बीजेपी की सरकार थी.

Advertisement
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार का आज अंतिम दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में अपनी अंतिम जनसभा को एक अक्तूबर को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने मिर्चपुर और गोहाना कांड का जिक्र किया था.मिर्चपुर कांड का जिक्र करने वाले वो अकेले बीजेपी के नेता नहीं हैं. इस कांड का जिक्र अमित शाह, मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक कर चुके हैं. बीजेपी के नेता मिर्चपुर कांड का जिक्र कांग्रेस को दलित विरोधी बताने के लिए करते हैं. दलितों का दिल जीतने की कोशिश कर रही बीजेपी बताती है कि कांग्रेस सरकार के दौरान दलितों के साथ कितना अन्याय होता था.वह बताती है कि हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में ही 2005 में गोहाना और 2010 में मिर्चपुर कांड हुआ था. 

मिर्चपुर और गोहाना कांड

मिर्चपुर हरियाणा के हिसार जिले का एक गांव है. वहां 21 अप्रैल 2010 को वाल्मीकि समुदाय के लोगों के दर्जनों घर को जमींदोज कर दिया गया था.प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था हमलावर भीड़ की ओर ले लगाई गई आग में एक बुजुर्ग और उनकी विकलांग बेटी की जलकर मौत हो गई थी. इसका आरोप जाट जाति के लोगों पर लगा था. यह मामला अदालत तक पहुंचा था.अदालत ने इस मामले के 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत का फैसला आने से पहले ही मिर्चपुर गांव से 125 से अधिक दलित परिवार पलायन कर गए. वो आज तक वापस नहीं लौटे हैं. वहीं सोनीपत के गोहाना में 2005 में दलितों के 50 घर जला दिए गए थे. इसकी शुरुआत तब हुई जब गांव के एक दलित पर ऊंची जाति के व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा. 

Advertisement

किस फिराक में है बीजेपी

जिस समय मिर्चपुर कांड हुआ था, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा बैठे थे. इस बार कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में हुड्डा को ही मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. इसलिए बीजेपी मिर्चपुर कांड की याद लोगों को दिला रही है. उसकी एक कोशिश कांग्रेस के संविधान और आरक्षण वाले नैरेटिव को कमजोर करने की है. वह कांग्रेस को दलित और आरक्षण विरोधी साबित करने की हर संभव कोशिश कर रही है. 

Advertisement

Advertisement

मिर्चपुर गांव नारनौंद विधानसभा सीट के तहत आता है. इस विधानसभा सीट पर जाट मदताता निर्णायक भूमिका में हैं. इसके बाद भी 2019 के चुनाव में जननायक जनता पार्टी के गैर जाट उम्मीदवार राम कुमार गौतम में बीजेपी के बड़े जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु को हरा दिया था. गौतम बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें सफीदों से उम्मीदवार बनाया है. वहीं नारनौंद में मुकाबला जाट बनाम जाट का हो गया है. वहां से कांग्रेस ने जस्सी पेटवार और बीजेपी ने एक बार फिर कैप्टन अभिमन्यू को टिकट दिया है.हरियाणा में जाट किसान आंदोलन और महिला पहलवानों से कथित बदसलूकी की वजह से बीजेपी से नाराज हैं. 

Advertisement

हरियाणा में दलित वोटों की राजनीति

हरियाणा में दलितों की आबादी करीब 21 फीसदी है. इसके अलावा प्रदेश में 17 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. वहीं 35 ऐसी विधानसभा सीटें हैं,जिन पर दलित वोट बैंक निर्णायक भूमिका में हैं.लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को दलित वोटरों की नाराजगी की वजह से 5 सीटें गंवानी पड़ी थीं. इससे सबक लेते हुए बीजेपी दलितों की रिझाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी का छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा नेता दलितों के मुद्दों को उठाने में लगा है. इसी वजह से बीजेपी ने कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा पर की गई जातिगत टिप्पणी को भी मुद्दा बनाने से नहीं चूकी.

बीजेपी को 2014 के विधानसभा चुनाव में दलितों का भरपूर समर्थन मिला था. इसके बाद प्रदेश की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार चली गई थी. लेकिन बीजेपी को मिलने वाला दलितों का समर्थन 2019 में काफी गिर गया. इस चुनाव में बीजेपी एससी के लिए आरक्षित केवल पांच सीटें ही जीत पाई. उसने 2014 में नौ सीटें जीती थीं.कांग्रेस के हिस्से में सात और जजपा के हिस्से में चार सीटें आईं. वहीं अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में विधानसभा वार वोट देखें तो 20 फीसदी से अधिक एससी आबादी वाली 47 विधानसभा सीटों में बीजेपी की बढ़त 2019 के मुकाबले 44 से घटकर 18 पर रह गई. वहीं कांग्रेस की बढ़त 25 की हो गई.

इस बार दलित वोटों में हिस्सेदारी के लिए इनेलो और जेजेपी ने बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी से हाथ मिलाया है. चुनाव प्रचार में बीएसपी नेता मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद ने हरियाणा में कई रैलियां की. इस दौरान उन्होंमे कांग्रेस पर जमकर हमला किया.कांग्रेस कुमारी शैलजा के सहारे दलित वोटों को साधने में जुटी है. वो अपने टिकट बंटवारे में महत्व न मिलने से नाराज रहीं और अंतिम दिनों में प्रचार में शामिल हुईं. वहीं बीजेपी एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी के सहारे है. 

बीजेपी और कांग्रेस की ये कोशिशें कितनी कामयाब होती हैं, इसका पता आठ अक्तूबर को ही चल पाएगा, जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. 

ये भी पढ़ें: कुछ घंटे पहले BJP के साथ, फिर राहुल का थाम लिया हाथ... हरियाणा में अशोक तंवर की गजब पलटी

Featured Video Of The Day
Noida Airport: ​नोएडा में लगभग तैयार हो गया इंटरनैशनल जेवर एयरपोर्ट का रनवे | NDTV India