- दिल्ली धमाके की जांच में पता चला कि जैश-ए-मोहम्मद का व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल हमास की रणनीति अपना रहा है.
- ड्रोन का इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए और अस्पतालों को हथियार भंडारण स्थल बनाने की योजना हमास से प्रेरित है.
- जैश और हमास के बीच संबंधों को दिखाते हुए वीडियो NDTV को मिले हैं जो आतंकी नेटवर्क के तालमेल को दर्शाते हैं.
दिल्ली धमाके की जांच में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. कश्मीर से हरियाणा तक इस ब्लास्ट के तार जुड़ रहे हैं. मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. जांच एजेंसियों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद का व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल हमास की रणनीति अपना रहा है. हथियारों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल और अस्पतालों को आर्म्स स्टोरेज के रूप में उपयोग करना, हमास के टेरर मैनुअल से मेल खाता है. एजेंसियों की मानें तो हमास की रणनीति का इस्तेमाल करने वाला जैश का सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल कोई संयोग नहीं है.
ड्रोन को हथियार बनाने से लेकर अस्पतालों में हथियार रखने तक, सब कुछ हमास की आतंकी पुस्तिका से लिया गया लगता है. NDTV को ऐसे वीडियो मिले हैं जो जैश और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच गहरे रिश्तों को उजागर करते हैं.
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हमास जैसी प्लानिंग हुई बेनकाब
इसी साल की शुरुआत में 5 फरवरी को, फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने पहली बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में जैश और लश्कर के आतंकवादियों के साथ मंच साझा किया था. हमास नेता डॉ. खालिद कद्दौमी, डॉ. नाजी ज़हीर वहां मौजूद अन्य लोगों में प्रमुख थे. यह बैठक इस बात का संकेत थी कि आतंकी नेटवर्क अब वैश्विक स्तर पर तालमेल बढ़ा रहे हैं.
कश्मीरी एकजुटता के नाम पर लोगों को इकट्ठा करने की थी कोशिश
'कश्मीर एकजुटता' और 'हमास ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड' शीर्षक वाले इस सम्मेलन का उद्देश्य यह संदेश देना था कि कश्मीर और फ़िलिस्तीन दोनों ही पैन इस्लामिक जिहाद के विषय हैं और उम्माह से भारत और इज़राइल के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान भी किया गया.
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जांच एजेंसियों का कहना है कि इस साजिश की स्क्रिप्ट फरवरी में लिखी गई थी और अब इसका नेटवर्क बेनकाब हो रहा है. जैश का मॉड्यूल न केवल ड्रोन को हथियार बनाने की योजना पर काम कर रहा था, बल्कि अस्पतालों को हथियारों के भंडारण के लिए इस्तेमाल करने की रणनीति भी हमास की तर्ज पर अपनाई गई थी.
(रिपोर्ट- प्रदीप दत्ता)













