नई दिल्ली: दिल्ली के पुलिस महानिदेशक (कारागार) संजय बेनीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी के तिहाड़ जेल में भीड़भाड़ से बचने और कैदियों के बीच झड़प को रोकने के लिए दिल्ली के बाहर के उन आदतन अपराधियों को बाहर की जेलों में स्थानांतरित करने की वकालत की है जो छोटे अपराधों में यहां कैद हैं.
डीजी (कारागार) के पद पर 2022 से ही आसीन बेनीवाल ने कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है जिसमें बताया गया है कि विचाराधीन कैदियों को अन्य जेलों में स्थानांतरित करने की जरूरत है. बेनीवाल ने कहा, ‘‘ उदाहरण के लिए, ऐसे कई कुख्यात अपराधी हैं जिन्होंने दिल्ली के बाहर बड़े अपराध किए हैं लेकिन फिर राष्ट्रीय राजधानी में आते हैं और यहां एक छोटा अपराध करते हैं और फिर तिहाड़ में बंद हो जाते हैं. यह एक अजीब स्थिति है.... हम पहले से ही क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या से निपट रहे हैं और उनका यहां रहने का कोई मतलब नहीं है और फिर भी वे यहां हैं.''
दिल्ली में तीन जेल तिहाड़, मंडोली और रोहिणी परिसर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेशी से कैदियों को जेलों में एक-दूसरे के साथ घुलने-मिलने और गिरोह बनाने से रोका जा सकेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मौके आएंगे जहां उच्च सुरक्षा उपायों के बावजूद कैदियों का दूसरों से सामना हो सकता है. हालांकि उन्हें अलग रखने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन अदालत में पेशी के दौरान, वे प्रवेश बिंदु पर एकत्रित हो जाते हैं और एक ही वैन में यात्रा करते हैं, जिससे उनकी बातचीत करने की आशंका बढ़ जाती है.''
उन्होंने कहा कि कुछ कैदी ऐसे होते हैं जिनमें भागने की योजना बनाने की प्रवृत्ति होती है, जिससे यह अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है. बेनीवाल ने कहा, ‘‘ इन्हीं कारणों से वीडियो कॉन्फ्रेंस को एक बेहतर विकल्प के रूप में सुझाया गया है. दरअसल, उच्च न्यायालय ने हाल ही में अदालत में पेशी, गवाह से पूछताछ, ई-फाइलिंग और वकीलों के साथ आभासी बैठकों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के उपयोग का समर्थन किया है.''
पिछले साल मई में, तिहाड़ जेल के अंदर चार हमलावरों ने गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी थी. उसकी हत्या के वीडियो सामने आए थे जिसमें आरोपी घटना को अंजाम देने के लिए चादरों का उपयोग करके पहली मंजिल से नीचे से उतरते नजर आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने कर्मियों को कैदियों की भीड़ द्वारा बलवा करने पर उनसे निपटने के लिए नियमित दंगा-रोधी प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के दौरान हमलावरों ने हमारे एक सुरक्षाकर्मी पर चाकू से हमला किया था.''
बेनीवाल ने कहा, ‘‘हमारे अधिकारियों को कैदियों से निपटते समय हथियार अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है.'' उन्होंने कहा कि पिछले साल दिल्ली की जेलों में कैदियों से लगभग 1,200 मोबाइल फोन जब्त किए गए थे और उनकी तलाशी के दौरान आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने पर जोर दिया गया.