वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर दायर याचिका को वाराणसी की कोर्ट ने सुनवाई के योग्य माना है. जिला अदालत ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला दिया है. कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी मंदिर में हर रोज पूजा करने की याचिका को जायज ठहराया है. कोर्ट के फैसले पर दोनों ही पक्षों की तरफ से रिएक्शन आ रहे हैं. जहां एक पक्ष ने पूरे मामले पर खुशी जताया है वहीं दूसरे पक्ष की तरफ से मिली जुली प्रतिक्रिया है.
अंजुमन इंतजा मियां मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि इसे भी एक मुकदमे के तौर पर ही देखा जाए. हर फैसला किसी न किसी पक्ष में जरूर होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर हाईकोर्ट जाएंगे. वहीं याचिकाकर्ता 5 महिलाओं की तरफ से बात रखने वाले वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि अदालत की तरफ से हर मुद्दों पर चर्चा की गयी. जिसके बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की मांग को खारिज कर दिया. बताते चलें कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया था कि याचिका सुनने योग्य नहीं है जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने कहा है कि भारत आज खुश है, मेरे हिंदू भाइयों और बहनों को जश्न मनाने के लिए दीया जलाना चाहिए.
एक अन्य याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा कि यह हिंदू समुदाय की जीत है. अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. यह ज्ञानवापी मंदिर की आधारशिला है. साथ ही उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की.
ज्ञानवापी फैसले पर उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि अदालत सभी पक्षों को सुनती है और उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचती है. कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है, हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए.
ज्ञानवापी मामले को लेकर कोर्ट के फैसले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है की भारत में अराध्य का पूजा नही होगा तो कहा होगा? मेरा तो कोई और मक्का नही है. मेरा तो मथुरा काशी ही पूजनीय है. वही राहुल गांधी द्वारा आरएसएस पर किए गए ट्वीट पर गिरिराज सिंह ने कहा की राहुल गांधी को आरएसएस को समझने में सात जन्म लेना होगा.