गुजरात उपचुनाव: विसवादर को पसंद नहीं हैं 'बागी', BJP के लिए कितनी बड़ी है AAP की चुनौती

आज देश की जिन पांच विधानसभा सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है, उनमें गुजरात की विसवादर और कड़ी सीट भी शामिल है. गुजरात में सबसे कांटे का मुकाबला विसवादर सीट पर देखने को मिला है. आइए जानते हैं कि क्या है इस कड़े मुकाबले की वजह.

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नई दिल्ली:

गुजरात की दो विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव के लिए मतदान कराया जा रहा है. जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, वो हैं जूनागढ़ जिले की विसवादर और मेहसाना जिले की कडी सीट. विसावदर सीट पर उपचुनाव आम आदमी पार्टी के विधायक के पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो जाने और कड़ी में चुनाव बीजेपी विधायक के निधन की वजह से कराया जा रहा है. सबसे कड़ा मुकाबला विसवादर सीट पर देखने को मिला है. यहां आम आदमी पार्टी और बीजेपी में सीधा मुकाबला है. कांग्रेस भी इस सीट पर दम ठोक रही है. आइए देखते हैं कि कौन सा समीकरण इस सीट को खास बनाता है.

विसावदर विधानसभा सीट का मुकाबला

विसावदर सीट पर 2022 में आम आदमी पार्टी के भूपेंद्रभाई गंडूभाई भायानी को जीत मिली थी. उन्होंने दिसंबर 2023 में अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इस वजह से यहां उपचुनाव कराया जा रहा है.टिकट बंटवारे में  भूपेंद्रभाई गंडूभाई भायानी ने किरीट पटेल का समर्थन कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया. पटेल 2017 का चुनाव कांग्रेस के रिबाड़िया हर्षदकुमार भाधवजीभाई से हार गए थे. रिबाड़िया 2022 के चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी ने उन्हें टिकट भी दिया था. लेकिन वो आप के भूपेंद्रभाई गंडूभाई भायानी के हाथों हार गए थे. विसावदर की खास बात यह रही है कि यहां की जनता दलबदलुओं को स्वीकार नहीं करती है. उसने हर बार दलबदलुओं को हराया है. इसे देखते हुए ही भूपेंद्रभाई गंडूभाई भायानी ने इस बार उम्मीदवारी से अपना नाम वापस ले लिया था.

अपने विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करते बीजेपी उम्मीदवार कीरीट पलेट.

विसावदर पटेल बहुल सीट है, जिनकी आबादी करीब दो लाख है. पटेल आरक्षण आंदोलन की वजह से बीजेपी को 2022 के चुनाव में इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. बीजेपी के किरीट पटेल को आप के गोपाल इटालिया चुनौती दे रहे हैं.  आम आदमी पार्टी की रणनीति ने बीजेपी को परेशान रखा है. आप ने उपचुनाव के ऐलान से पहले ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया था. इसका फायदा गोपाल इटालिया ने इलाके में अपनी पैठ बनाने में उठाया. वह विधानसभा क्षेत्र के करीब-करीब हर गांव का कई बार दौरा कर चुके हैं. उन्होंने किसानों के मुद्दे उठाकर भी बीजेपी को काफी परेशान किया है. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार पर भष्ट्राचार के आरोप भी लगाए हैं. भष्ट्राचार के ये आरोप जूनागढ़ के सहकारी बैंक को लेकर हैं. इन आरोपों में बीजेपी को बैकफुट पर डाल दिया है. 

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गोपाल इटालिया के लिए चुनाव प्रचार करते पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल.

बीजेपी की प्रतिष्ठा है दांव पर

बीजेपी इस सीट के लिए इसलिए ज्यादा जोर लगा रही है कि बीजेपी पिछले तीन चुनाव से हार रही है. बीजेपी इस सीट पर अंतिम बार 2007 में जीती थी. उसके बाद से वह इस सीट पर जीत नहीं पाई है.बीजेपी 2022 के चुनाव में यह सीट सात हजार से अधिक वोटों के अंतर से हार गई थी. ऐसे में उसने इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. इस सीट पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील तक ने चुनाव प्रचार किया. बीजेपी ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है.उपचुनाव में इस सीट पर जीत मिलने के साथ ही 182 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या 162 हो जाएगी. 

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(गोपी मनियर घांघर की रिपोर्ट पर आधारित.)

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