कोविड-19 से उबर रहे मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस (mucormycosis or black fungus) के मामलों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं, जिनमें दिल्ली, मुंबई, गुजरात और मध्य प्रदेश शामिल हैं. गुजरात में तेजी से इस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. जानकारी है कि गुजरात के सूरत में कोविड-19 से उबर चुके मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस के कम से कम 40 मामले सामने आए हैं, वहीं कई मरीजों ने इसके चलते अपनी आंखों की रोशनी भी खो दी है. पिछले 15 दिनों में सूरत में म्यूकोरमाइकोसिस के 40 मामले सामने आए हैं, जिनमें से आठ मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है.
बता दें कि यह संक्रमण कोरोना की वजह से फैल रहा है और इसका इलाज हो सकता है, लेकिन अगर इलाज में देरी हो जाए या इलाज न मिले तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है. इस रोग के विशेषज्ञों की मानें तो ब्लैक फंगस के लक्षण कोरोना से रिकवर होने के दो से तीन दिन बाद दिखाई दे रहे हैं.
यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में होता है जब रोगी कोविड-19 से ठीक हो जाता है और लगभग दो-चार दिनों में यह आंखों पर आक्रमण करता है और फिर उसके अगले 24 घंटों में मस्तिष्क तक पहुंच सकता है. इस स्टेज पर मरीज की जान जाने जैसी नौबत तक आ सकती है.
इसके ऑपरेशन का खर्च 5 से लेकर 7 लाख तक का है. ऑपरेशन के बाद डेढ़ महीने तक रोजाना मरीज को चार से पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं. एक इंजेक्शन का खर्च 4,000 से लेकर 7,000 तक का होता है. सूरत में महाराष्ट्र से लेकर उत्तर गुजरात, अहमदाबाद के मरीज आ रहे हैं. ऑपरेशन के लिए 60 से अधिक वेटिंग चल रही है.
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मध्य प्रदेश में भी आए दर्जनों मामले
बता दें कि अभी बुधवार तक भी मध्य प्रदेश में भी ब्लैक फंगस के लगभग 50 मामले सामने आए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि इसके इलाज के लिए प्रोटोकॉल तय किया जाएगा. वहीं, सरकार आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के इलाज का खर्चा उठाएगी.
उन्होंने कहा कि 'ब्लैक फंगस के संक्रमण की घटनाएं सामने आ रही हैं* जो बहुत भयानक है. यह चिंता का विषय है. इसमें नाक,मुंह, दांत, आंख मस्तिष्क और बाकी अंग भी संक्रमित हो जाते हैं. अभी तक *प्रदेश में 50 रोगियों की की पुष्टि हुई है. इसके इलाज के प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार सुनिश्चित किया जाए.'
मुख्यमंत्री ने कहा कि 'इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज क्या हैं. क्या सावधानियां रखी जानी चाहिए. प्रारंभिक अवस्था में ही ध्यान देने की आवश्यकता है.' उन्होंने कहा कि 'उपचार महंगा होता है इंजेक्शन महंगे लगते हैं, इसलिए राज्य शासन ऐसे पेशेंट को भरपूर सहयोग करेगा. जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, उनके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे.'
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