भारत के साथ हर कोई करना चाहता है मुक्त व्यापार समझौता, GTRI रिपोर्ट में दावा

जीटीआरआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के छोटे-बड़े सभी देश भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना चाहते हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने से ये देश कम या बिना किसी आयात शुल्क के भारतीय बाजार तक पहुंच बना सकते हैं.

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नई दिल्ली:

एक आर्थिक शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि यूरोप और ब्रिटेन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से लेकर ओमान और पेरू जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले कई देश भारत के तेजी से बढ़ते बाजार के कारण उसके साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करना चाहते हैं. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस रिपोर्ट में कहा कि भारत के साथ एफटीए करने से ये देश कम या बिना किसी आयात शुल्क के भारतीय बाजार तक पहुंच कायम कर सकते हैं. इससे उनकी कंपनियों को भारतीय बाजार में बिक्री करने में दूसरों के मुकाबले बढ़त मिलती है.

भारत वर्तमान में अपना अधिकतर आयात (75 प्रतिशत से अधिक) उन देशों से करता है जिनके साथ उसका एफटीए नहीं है. इसलिए ये समझौते खासकर आकर्षक हैं क्योंकि वे भारत में महत्वपूर्ण नए बाजार अवसर प्रदान करते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, "हर कोई भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना चाहता है. अमेरिका, यूरोप, जापान और ब्रिटेन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से लेकर ओमान, पेरू और मॉरीशस जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश तक भारत के साथ एफटीए चाहते हैं. इसकी मुख्य वजह भारत का उच्च आयात शुल्क है. जिससे इन देशों के लिए भारत के बड़े और तेजी से बढ़ते बाजार तक पहुंच मुश्किल हो जाती है."

हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को प्रस्तावित एफटीए से निर्यात में बड़ी वृद्धि मिलने की उम्मीद कम है, क्योंकि जिन देशों के साथ भारत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है, वहां पहले से ही आयात शुल्क कम है.

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "मिसाल के तौर पर ब्रिटेन का शुल्क 4.1 प्रतिशत, कनाडा का 3.3 प्रतिशत और अमेरिका का 2.3 प्रतिशत है. वहीं भारत का आयात शुल्क 12.6 प्रतिशत से अधिक है." इसके अलावा इन देशों से आयात का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही सबसे पसंदीदा देश (एमएफएन) होने की वजह से शून्य शुल्क पर हो रहा है.

दूसरी तरफ, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों को एफटीए से अधिक लाभ हो सकता है, क्योंकि वे भारत में अपने उत्पादों को उन उच्च शुल्कों के बिना बेचने में सक्षम होंगे जो भारत आमतौर पर लगाता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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