Statehood For Ladakh: लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन

5 अगस्त 2019 को लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया और एक अलग केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया. हालांकि, लद्दाख में किसी भी विधायिका का गठन नहीं किया गया था.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
लद्दाख में कोई भी राज्यसभा सीट नहीं है.
नई दिल्ली:

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Ladakh) को राज्य का दर्जा (Statehood) दिलाने की मांग को लेकर मंगलवार (14 फरवरी) को दो संगठनों लेह एपेक्स बॉडी (Leh Apex Body) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (Kargil Democratic Alliance) ने प्रदर्शन किया. दिल्ली के जंतर-मंतर में हुए इस प्रदर्शन में ट्रेड यूनियनों, लद्दाख के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समूहों के लोग भी शामिल हुए.

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया और एक अलग केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया. हालांकि, लद्दाख में किसी भी विधायिका का गठन नहीं किया गया था. राज्यों के नए पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार, केंद्र शासित राज्य  को केवल एक लोक सभा सीट मिली है. यहां पर कोई भी राज्यसभा सीट नहीं है. 

एक्टिविस्ट और राजनेता सज्जाद हुसैन ने पीटीआई-भाषा को बताया कि लद्दाख की मांगों को लेकर साथ आए दोनों समूह बुधवार को भी राष्ट्रीय राजधानी में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन करेंगे. हुसैन ने कहा, ''जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब हमसे विकास का वादा किया गया था.

उन्होंने कहा, "लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस संयुक्त तौर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. हम एक चार सूत्री एजेंडा के तहत प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी मांगें हैं कि लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान के तहत छठी अनुसूची, नौकरी में आरक्षण, लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग और लेह-कारगिल को संसदीय क्षेत्र बनाया जाए."

लद्दाख के कार्यकर्ता और शिक्षक सोनम वांगचुक हाल ही में 'लद्दाख को बचाने' के लिए पांच दिवसीय 'जलवायु उपवास' पर गए थे. उन्होंने कहा कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, ताकि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचे.

इस साल जनवरी में गृह मंत्रालय ने लद्दाख के लोगों के लिए "भूमि और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित करने" के लिए राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था. हालांकि, दोनों निकायों ने समिति को खारिज कर दिया, और इसके तत्वावधान में आयोजित किसी भी बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया. 

Advertisement

हुसैन ने कहा, "दोनों निकायों ने एजेंडा तय होने और समिति की संरचना फिर से तैयार होने तक बैठकों में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं."

ये भी पढ़ें:-

दिल्ली में आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना, पंजाब में हल्की बारिश का अनुमान : मौसम विभाग

Advertisement

कश्मीरः भारत के सबसे सुंदर सुरंग-मार्ग ज़ोज़िला पास पर भारी बर्फ़बारी के बीच काम जारी, हज़ारों लोग दिन-रात जुटे हैं बनाने में

Featured Video Of The Day
Uttar Pradesh में महिला आयोग का अजब गजब फरमान, अब नहीं होगा 'लेडीज टेलर' मर्द