सरकार ने आदेश की अवहेलना को लेकर सोशल मीडिया को दी चेतावनी, नियमन के लिए तय हो रहे दिशानिर्देश

सोशल मीडिया के लिए तय जा रहे ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति होगी, जो 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देंगी और अनुपालन के लिए नियमित रिपोर्ट देंगे.

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने आदेश की अवहेलना को लेकर सोशल मीडिया (social media) कंपनियों को कड़ी चेतावनी दी है. सरकार इन कंपनियों के नियमन के लिए ड्रॉफ्ट रूल भी तय कर रही है.सोशल मीडिया के लिए तय जा रहे ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देंगी और अनुपालन के लिए नियमित रिपोर्ट देंगे.

फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और समाचार से जुड़े वेबसाइटों को इसके जरिये नियमित किया जाएगा.केंद्र सरकार के निर्देशों पर कुछ अकाउंट को ब्लॉक करने से इनकार करने पर ट्विटर से छिड़े विवाद के बीच सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों, वीडियो स्ट्रीमिंग यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म और समाचार से जुड़ी वेबसाइटों को नियमित करने के लिए ड्रॉफ्ट रूल तैयार किए हैं. इन सभी के लिए स्व नियमन का तंत्र विकसित किया जा रहा है, जिसमें आचार नीति और नियमित तौर पर अनुपालन रिपोर्ट भेजना शामिल है.

सूत्रों का कहना है कि ड्रॉफ्ट रूल के तहत एक शिकायत निवारण तंत्र पोर्टल बनाना होगा और निगरानी का एक तंत्र भी होगा. यह निगरानी तंत्र सरकार द्वारा विकसित किया जाएगा, जो आचार नीति का पालन सुनिश्चित कराएगा. गौरतलब है कि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया मंचों को आगाह किया कि अगर उनका उपयोग भारत में झूठी खबरें फैलाने, हिंसा या वैमनस्य को बढ़ावा देने में किया जाता है तो उनके खिलाफ सख्ती की जाएगी.

प्रसाद ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार सोशल मीडिया का सम्मान करती है और इस मंच से लोग अधिकार संपन्न हुए हैं. प्रसाद ने कहा कि सरकार आलोचना के अधिकार का भी सम्मान करती है लेकिन ऐसे मंचों को देश के संविधान तथा कानूनों का पालन करना होगा. अगर सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है तो चुनाव आयोग के अलावा सरकार भी कार्रवाई करेगी.

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अमेरिकी संसद भवन में हिंसा और यहां लाल किले में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के समय ऐसे मंचों का व्यवहार अलग-अलग रहा. कई सोशल मीडिया मंचों ने अमेरिका में पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया लेकिन यहां भारत में उलटा रुख अपनाया. ऐसा दोहरा मानदंड स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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